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राष्ट्रीय रोजगार नीति : बेरोजगारी के खिलाफ 16 से 22 अगस्त तक जंतर मंतर पर होगा आंदोलन

राष्ट्रीय रोजगार नीति और लोगों को नौकरियों की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 16 अगस्त को यहां जंतर मंतर पर 200 से ज्यादा छात्र और युवा संगठन, श्रमिक संगठन, शिक्षक संघ और बुद्धिजीवी एकत्र होंगे।

राष्ट्रीय रोजगार नीति और लोगों को नौकरियों की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 16 अगस्त को यहां जंतर मंतर पर 200 से ज्यादा छात्र और युवा संगठन, श्रमिक संगठन, शिक्षक संघ और बुद्धिजीवी एकत्र होंगे। वे हफ्ते भर लंबे रोजगार आंदोलन के तहत जंतर मंतर पर एकत्रित होंगे।संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (एसआरएएस) के तत्वाधान में रोजगार आंदोलन होगा और यह 22 अगस्त तक जारी रहेगा।
राष्ट्रीय रोजगार नीति का मसौदा सौंपा गया
विचारक संस्था ‘देश की बात फाउंडेशन’ ने ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ तैयार की है। इस फाउंडेशन की स्थापना दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने की है और वह भी प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।एसआरएएस सदस्य और केंद्रीय समन्वयक कृष्ण यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पिछले साल 20 अगस्त को राष्ट्रीय रोजगार नीति का मसौदा सौंपा गया था जिसपर वहां से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इसके बाद आंदोलन करने का फैसला किया गया।
 बेरोजगारी की समस्या का दीर्घकालिक समाधान 
यादव ने कहा कि नीति जमीनी स्तर के मसलों को हल करके भारत की बेरोजगारी की समस्या का दीर्घकालिक समाधान करने के बारे में बात करती है।यादव ने “ हम रोजगार आंदोलन में छात्र संघों, गैर सरकारी संगठनों, युवा संगठनों, श्रमिक संघों, शिक्षक संघों, बुद्धिजीवियों और कुछ निवास कल्याण समितियों (आरडब्ल्यूए) की भागीदारी देखेंगे।”
लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी दर बढ़ी 
उन्होंने कहा, “ हम मांग करते हैं कि केंद्र सरकार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नीति बनाए या ‘देश की बात फाउंडेशन’ की ओर से तैयार की गई नीति में जरूरी बदलाव करे और इसे संसद में पारित कराकर लागू करे।”
दिल्ली के मंत्री राय ने कहा कि कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी दर में भारी बढ़ोतरी हुई है और इसका समाधान करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने तैयार की है।
पारंपरिक सेवाओं का विस्तार करना भी शामिल
 बेरोजगारी की समस्या को हल करने की बात करती है जिसमें लघु प्रौद्योगिकी, लुघ बाजार, बहुराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने और न्यूनतम ऋण सहायता और कौशल प्रशिक्षण देना शामिल है।”राय ने कहा, “ लुघ, मध्यम और बड़े उद्योगों में विनिर्माण में सुधार करना, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, न्यूनतम आर्थिक सहायता, नौकरी की सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी और कामगार को सामाजिक सुरक्षा देना और आधुनिक और पारंपरिक सेवाओं का विस्तार करना भी शामिल है।”उन्होंने कहा कि भारत की आबादी की वजह से बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, लेकिन उचित आर्थिक नीतियों के जरिए जनसंख्या को वरदान बनाया जा सकता है।

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