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चीन को चेतावनी, NAVY चीफ कर्मबीर सिंह बोले-LAC पर हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भारत के साथ सीमा पर चीन के गलत रवैये को लेकर कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की चीन की कोशिश हमारे लिए चुनौती है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भारत के साथ सीमा पर चीन के गलत रवैये को लेकर कहा कि कोरोना वायरस और वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की चीन की कोशिश हमारे लिए दोहरी चुनौती है। इन दोनों चुनौतियों का सामना करने के लिए नौसेना तैयार है। अगर चीन की ओर से नियंत्रण रेखा का उल्लंघन होता है तो स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास एक एसओपी है। 
उन्होंने कहा कि लीज पर लिए गए 2 शिकारी ड्रोन हमारी निगरानी में कैपेबिलीटी गैप को पूरा करने में हमारी मदद कर रहे हैं। यदि सेना और आईएएफ को पूर्वोत्तर में जरूरत पड़ती है, तो हम इस पर विचार कर सकते हैं। नौसेना की गतिविधियां भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ तालमेल बैठाए हुए हैं। 
बता दें कि चीन समय-समय पर बेनकाब भी होता रहा है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन की सरकार ने जून में गलवान की घटना को भी योजना के तहत अंजाम दिया था। बीजिंग ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ बहुपक्षीय अभियान चलाया था, जिससे जापान से लेकर भारत तक के सैन्य और अर्धसैनिक बल के लोग भड़क उठे। 
गलवान के संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद संयुक्त राज्य-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) ने ‘2020 रिपोर्ट टू कांग्रेस टू द यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन’ में कहा कि ” कुछ सबूतों से पता चलता है कि चीनी सरकार ने गलवान के बवाल योजना बनाई थी। रिपोर्ट में लिखा गया, “जून 2020 में, PLA और भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास पश्चिमी लद्दाख क्षेत्र में स्थित गाल्वन घाटी में भारी पैमाने पर उत्पात मचाया। 
ये झड़प मई की शुरुआत में एलएसी के कई क्षेत्रों के साथ गतिरोध की एक श्रृंखला के बाद हुई और इसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिकों की जान गई और चीन के सैनिकों को लेकर कोई पुष्टी नहीं हुई है। 1975 के बाद पहली बार दोनों पक्षों के बीच ये बवाल हुआ है। वहीं भारत और चीन एलएसी पर नौंवे दौर की मिलिट्री स्तर की वार्ता की तैयारी कर रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है पूर्वी लद्दाख सेक्टर में मई 2020 के पहले जैसी स्थिति बनाना। सूत्रों के मुताबिक, वार्ता से पहले भारत चीन से कुछ मुद्दों पर सफाई चाहता है। इसमें डिस-इंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। 

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