पाठ्यपुस्तकों में संशोधन पर NCERT प्रमुख बोले - किसी को खुश या नाराज करने के लिए नहीं है ये फैसला - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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पाठ्यपुस्तकों में संशोधन पर NCERT प्रमुख बोले – किसी को खुश या नाराज करने के लिए नहीं है ये फैसला

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में हालिया बदलाव किसी को खुश करने या नाराज करने के लिए नहीं किए गए हैं, बल्कि ये विशुद्ध रूप से विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित हैं।

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में हालिया बदलाव किसी को खुश करने या नाराज करने के लिए नहीं किए गए हैं, बल्कि ये विशुद्ध रूप से विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित हैं।
सकलानी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एनसीईआरटी अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के आधार पर सभी कक्षाओं के लिए नई किताबें लाने जा रही है। एनसीईआरटी के प्रमुख के अनुसार, न केवल इतिहास की किताबों में, बल्कि अन्य सभी विषयों में भी बदलाव किए गए हैं, ताकि छात्रों का बोझ कम किया जा सके।
 क्या एनसीईआरटी नई स्कूल पाठ्यपुस्तकें ला रहा है 
जब सकलानी से ये पुछा गया कि क्या यह सच है कि एनसीईआरटी नई स्कूल पाठ्यपुस्तकें ला रहा है? तो उन्होंने कहा यह सच है कि एनसीईआरटी सभी कक्षाओं के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रहा है। नया पाठ्यक्रम एनईपी पर आधारित होगा। नींव स्तर के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है और नई पाठ्यपुस्तकें अगले दो महीनों के भीतर उपलब्ध करा दी जाएंगी, जबकि उच्च कक्षाओं के पाठ्यक्रम में संशोधन अभी भी चल रहा है और एक वर्ष में नई पाठ्यपुस्तकों को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में ये संशोधन क्यों किए जा रहे हैं?
सकलानी ने बताया सबसे पहले, कोई बड़े बदलाव नहीं हैं। दूसरे, ये सभी संशोधन पिछले साल किए गए थे। तब कोरोनावायरस के कारण क्या स्थिति थी, यह सभी ने देखा है। छात्रों को पढ़ाई का भारी नुकसान हुआ है। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बंद होने से न केवल स्कूल स्तर के छात्रों, बल्कि देश और दुनिया के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को भी सीखने का नुकसान हुआ है। ऐसे में एनसीईआरटी ने विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर पाठ्यक्रम में कुछ संशोधन करने का फैसला किया, ताकि लंबे समय के बाद स्कूल आने वाले छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम हो सके।
पाठ्य पुस्तकों से अध्यायों और तथ्यों को कम करने से छात्रों को क्या लाभ होगा?
सकलानी  ने इस बात का जवाब देते हुए कहा  इसका सीधा फायदा छात्रों को हुआ है। हमने 2022 में ही सिलेबस कम कर दिया था और इससे लंबे समय के बाद स्कूल आने वाले छात्रों से पढ़ाई का बोझ कम हुआ। उन्हें अपनी परीक्षाओं के लिए कम सामग्री का अध्ययन करना पड़ा। यहां तक कि पहले से ही कोरोना के तनाव से जूझ रहे छात्रों पर परीक्षा संबंधी तनाव भी कम हुआ।
जब सकलानी से पुछा गया कि कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि पाठ्यक्रम में बदलाव, मुगलों को पाठ्यपुस्तकों से पूरी तरह बाहर करने की रणनीति का हिस्सा है उन्होंने कहा , मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि एनसीईआरटी ने यह कदम किसी के कहने पर नहीं उठाया है। पाठ्यक्रम को कम करने का निर्णय किसी को खुश करने या नाराज करने के लिए नहीं लिया गया था। छात्रों को तत्काल राहत देने के लिए हमने यह कदम उठाया है। परिवर्तन देश भर के शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की राय पर आधारित हैं। यह आरोप कि पाठ्यपुस्तकों से मुगलों पर सभी अध्याय हटा दिए गए हैं, पूरी तरह निराधार हैं, ऐसा नहीं है।
 एनसीईआरटी ने किस आधार पर पाठ्यपुस्तकों से अध्याय हटाने का फैसला किया 
सकलानी ने ये भी बताया कि पाठ्यपुस्तकों से अध्याय हटाने का फैसला करने के लिए  हमने देशभर के शिक्षा विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई। इन विशेषज्ञों ने छात्रों का बोझ कम करने के लिए कक्षा 6 से 12 तक हर विषय और किताब का गहन अध्ययन किया और फिर ऐसे अध्यायों और तथ्यों को पाठ्यक्रम से हटाने की सिफारिश की जिन्हें दोहराया गया था. जिन विशेषज्ञों की सलाह ली गई उनमें विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षाविद, स्कूलों से जुड़े विशेषज्ञ और एनसीईआरटी के ही विशेषज्ञ शामिल थे।

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