संगम में डूब रहे बुजुर्ग को बचाने के लिए एनडीआरफ जवान राजेंद्र गौतम शहीद हो गए। गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद भी एनडीआरफ के जवान राजेंद्र शहीद अपने बाकी साथियों को कहते रहे कि आप लोग अपनी ड्यूटी पर जाकर श्रद्घालुओं का ध्यान रखो। मैं जल्द ही ठीक होकर वापस ड्यूटी आ जाऊंगा। घायल जवान को इलाज के लिए जल्द से एयरएम्बुलेंस से नई दिल्ली के सफरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया थाञ लेकिन गंभीर रूप से घायल जवान की जान नहीं बचायी जा सकी। शहीद जवान को उनके साथियों ने श्रद्घाजंलि दी।
बीएसएफ से एनडीआरएफ की थी ज्वाइन…
एनडीआरएफ के कार्यरत कांस्टेबल राजेंद्र गौतम हिमाचल प्रदेश के जिला विलासपुर लाहर के रहने वाले थे। मुख्य रूप से वह बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में तैनात थे। शहीद जवान ने 2013 में एनडीआरएफ ज्वाइन कर लिया था। उसके बाद उनकी पोस्टिंग पटना स्थित 9वीं वाहिनी एनडीआरएफ में थी।
राजेन्द्र गौतम ने बिहार में आयी बाढ़ एंव अन्य आपदा के समय उत्कृष्ट कार्य किया था जिससे एनडीआरएफ में उनकी खास पहचान बन चुकी थी। कुंभ मेले में एनडीआरएफ की टीम के साथ शहीद जवान भी कुंभ मेले में ड्यूटी करने के लिए प्रयागराज आए थे।
कैसे हुई पूरी घटना…
19 फरवरी के दिन कुंभ के सेक्टर 20 में राजेन्द्र गौतम तैनात थे। इसी दौरान सुबह 5:45 बजे संगम में डुबकी लगाते हुए एक बुजुर्ग डुबने लगे। बुजुर्ग की जान बचाने के लिए राजेन्द्र ने पानी में छलांग लगा दी थी। पानी के अंदर किसी सख्त चीज से शहीद जवान को चोट लगी थी।
वहां पर टीम के अन्य सदस्य भी पहुंचे लेकिन बिना अपनी चोट की परवाह किए राजेन्द्र ने अपने बाकि साथियों से कहा कि आप लोग अन्य श्रद्घालुओं पर ध्यान रखे। थोड़ी देर बाद राजेन्द्र बेहोश हो गए। उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया लेकिन पता चला कि उनकी रीढ़ की तीन हड्डी टूट चुकी है और इलाज के लिए उन्हें नई दिल्ली के सफरगंज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।
सीएम योगी आदित्यानथ ने जवान की गंभीर स्थिति देखते हुए उन्हें एयर एम्बुलेंस से दिल्ली भेजा गया। जैसे ही अस्पताल पहुंचने के बाद चिकित्सकों की टीम ने इलाज शुरू किया तो 22 फरवरी की सुबह राजेन्द्र ने दम तोड़ दिया था। बाकी सहयोगी को राजेन्द्र की शहीद होने की खबर मिलते ही एनडीआरएफ में शोक की लहर दौड़ गई। वहीं एनडीआरएफ के महानिदेशक सत्य नारायण प्रधान ने बोला कि शहीद राजेन्द्र की कुर्बानी को हमेशा याद रखा जाएगा।