उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार और समृद्धि के लिए अनूठे विचारों और नवाचारों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय नवाचार आंदोलन की जरूरत पर बल दिया है। श्री नायडू ने आज यहां जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में गांधीवादी युवा तकनीकी नवाचार (जीवाईटीआई) पुरस्कार 2019 प्रदान करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि नए और समावेशी भारत का निर्माण करने के लिए समाज के हर वर्ग में प्रतिभाओं को आकार और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से सरल, उच्च तकनीक वाले सस्ते नवाचारों को विकसित करने का आग्रह किया जिससे कि लोग प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, रोगों, कृषि संबंधी जोखिमों और कम दक्षता वाली औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी चुनौतियों से निपट सके और अधिक आरामदायक जीवन यापन कर सके। उपराष्ट्रपति ने तेलंगाना के बुनकर श्री चिंतकंडी मल्लेशम द्वारा आविष्कार की गई एक अभिनव स्वदेशी मशीन का उल्लेख किया, जिसके माध्यम से एक साड़ की बुनाई छह घंटे की जगह डेढ़ घंटे में की जा सकती है।
श्री मल्लेशम को उनके आविष्कार के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और उनकी इस यात्रा और उपलब्धि पर एक फिल्म भी बनाई गई। उन्होंने 21 पुरस्कार विजेताओं के नवाचारों की प्रदर्शनी का भी दौरा किया और इनकी उपयोगिता के बारे में जानकारी ली। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इन नवाचारों के उपयोग से देश निकट भविष्य में तेजी से आर्थिक विकास और तकनीकी उपलब्धि हासिल करेगा।
कृषि को अधिक व्यवहारिक और टिकाऊ बनाने के लिए जैव-प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों पर अधिक बल देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, पोषण, पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के अलावा पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और जैवविविधता संरक्षण जैसे संबद्ध क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।