प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत की विविधता की सराहना करते हुए कहा कि भले ही कभी-कभी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती है लेकिन देशवासियों को देश की हर भाषा पर गर्व करना चाहिए। लाल किले की प्राचीर से 76वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विविधता और लोकतंत्र भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं।
भारत लोकतंत्र की जननी है और विविधता इसकी ताकत
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में बहुत सारी भाषाएं हैं। कभी-कभी हमारी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती हैं, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की विविधता का जश्न मनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत लोकतंत्र की जननी है और विविधता इसकी ताकत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश ने साबित कर दिखाया है कि हमारे पास हमारी विविधता से एक अंतर्निहित ताकत है और राष्ट्रभक्ति का धागा भारत को अटूट बनाता है।’’
देश का हर नागरिक स्वदेशी तोप की आवाज सुनने को तरस रहा था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा, ‘‘आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, आज 75 साल के बाद वो आवाज सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार ‘मेड इन इंडिया’ तोप ने किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है। ये समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।’’
सेना को जवानों को हृदय से अभिनंदन करता हूं
मोदी ने कहा, ‘‘आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भरता की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सलाम करता हूं।’’
अंतरिक्ष व समंदर की गहराई हमारे भविष्य की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पांच-सात साल के छोटे बच्चों को भी सलाम करता हूं। मुझे पता चला कि अब बच्चे विदेश में बने खिलौनों से नहीं खेलना चाहते। यह आत्मनिर्भर भारत को दिखाता है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक अनुसंधान के लिए भरपूर मदद मिले। अंतरिक्ष और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान हैं।’’