सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने 7 जनवरी के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें 2021-22 के लिए NEET अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट प्रवेश परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की अनुमति दी गई थी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा, "योग्यता को सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है, लेकिन सामाजिक न्याय के वितरणात्मक परिणामों को आगे बढ़ाता है।”
NEET-PG में प्रवेश के लिए EWS मानदंड पर नहीं होगी रोक
अदालत ने यह भी कहा कि नीट-पीजी में प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) मानदंड पर कोई रोक नहीं होगी और मौजूदा मानदंड (8 लाख रुपये सकल वार्षिक आय कट-ऑफ) वर्तमान प्रवेश वर्ष पर लागू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप से इस वर्ष के लिए प्रवेश में देरी होती इसलिए 2021-22 बैच के लिए आरक्षण मानदंड पर कोई रोक नहीं है। हम अभी भी एक महामारी के बीच में हैं। डॉक्टरों की भर्ती में देरी से महामारी की प्रतिक्रिया प्रभावित होगी।”
SC ने EWS कोटे की वैधता को बरकरार रखने के पीछे बताया कारण
पीठ ने कहा कि "गरीब और सबसे गरीब" की पहचान के संबंध में सभी पक्षों को सुने बिना नीति की योग्यता के आधार पर आदेश पारित करना संभव नहीं होगा। अनुच्छेद 15(4) और 15(5) हर देशवासी को मौलिक समानता देता है, उन्होंने कहा कि "कॉम्पिटिटिव एग्जाम एक्सीलेंस, व्यक्तियों की क्षमताओं को और कुछ वर्गों को मिलने वाले सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को नहीं दर्शाती है।"
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि परीक्षा आयोजित होने तक आरक्षण और सीटों की संख्या का खुलासा नहीं किया जाता है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि सीटों के गोलपोस्ट को बदल दिया गया है। बताते चलें कि 7 जनवरी को जारी एक अंतरिम आदेश में अदालत ने वर्ष 2021-22 के लिए NEET-PG प्रवेश के लिए मेडिकल काउंसलिंग फिर से शुरू करने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा की वैधता को भी बरकरार रखा।