नीट पेपर लीक मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का हुआ गठन, दो महीने में सरकार को सौपेगी रिपोर्ट

नीट पेपर लीक मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का हुआ गठन, दो महीने में सरकार को सौपेगी रिपोर्ट

NEET Paper Leak

नीट पेपर लीक(NEET Paper Leak): नीट पेपर लीक मामले में शिक्षा मंत्रालय ने पूरी मामले की अवलोकन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। जो अपनी रिपोर्ट दो महीने में सरकार को सौंपेगी।

Highlights

  • नीट पेपर लीक मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन
  • दो महीने में सरकार को सौपेगी रिपोर्ट
  • डॉ. के राधाकृष्णन की अध्य्क्षता में 7 सदस्यों की कमेटी

नीट पेपर लीक मामले में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन

नीट पेपर लीक(NEET Paper Leak) मामले में शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का निष्पक्ष, पारदर्शी और सुचारू रूप से संचालन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन के नेतृत्व में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। ये कमिटी परीक्षा की प्रक्रियाओं में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और NTA के स्ट्रक्चर पर काम करेगी। 7 सदस्यों की यह कमेटी 2 महीने के अंदर अपना रिपोर्ट सरकार को सौपेगी। उच्च स्तरीय पैनल एंड-टू-एंड परीक्षा प्रक्रिया का विश्लेषण करेगा और परीक्षा प्रणाली में क्या-क्या सुधार किया जा सकता है इसका उपाय बताएगी।

7 सदस्यों की कमेटी में कौन-कौन शामिल

इस कमेटी में आईआईटी दिल्ली में डीन प्रोफेसर आदित्य मित्तल, आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एमेरिटस राममूर्ति, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बीजे राव, पीपल स्ट्रॉन्ग के सह-संस्थापक और कर्मयोगी भारत के बोर्ड सदस्य पंकज बंसल, शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल शामिल हैं। उच्च स्तरीय पैनल एंड-टू-एंड परीक्षा प्रक्रिया का विश्लेषण करेगा और परीक्षा प्रणाली में क्या-क्या सुधार किया जा सकता है इसका उपाय बताएगी।

क्या है पूरा मामला

बता दें की नीट-यूजी 2024 पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 23 लाख 35 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। एनटीए के इस परीक्षा में जो रिजल्ट आए वो इतिहास में अभूतपूर्व था। परीक्षा परिणाम में 67 छात्रों ने पूरे 720 अंक प्राप्त किए थे, जिसमें हरियाणा के फरीदाबाद के एक सेंटर से छह अभ्यर्थियों ने पूर्ण अंक प्राप्त किये। जिससे अनियमितताओं का संदेह पैदा हो गया। बताया जा रहा कि ग्रेस मार्क्स दिए जाने से 67 छात्र शीर्ष रैंक पर पहुंच गए। जिसके बाद छात्रों में नाराजगी पैदा हुई और विवाद शुरू हुआ। बाद में मामला कोर्ट में पहुंचा और अब इस मामले में कोर्ट में सुनवाई जारी है।

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