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नीट-पीजी दाखिला: सुप्रीम कोर्ट ने OBC, EWS कोटे पर फैसला रखा सुरक्षित

नीट काउंसलिंग 2021 में अभी और देरी होने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन की सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है

नीट काउंसलिंग 2021 में अभी और देरी होने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन की सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट में एमबीबीएस/ बीडीएस और एमडी/ एमएस/ एमडीएस में दाखिलों के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों के मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण कोटा की आय सीमा के मानदंड पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से केंद्र और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना को ओबीसी को 27 प्रतिशत और अखिल भारतीय कोटा मेडिकल सीटों में ईडब्ल्यूएस छात्रों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने गुरुवार, 06 जनवरी, 2022 को वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार, श्याम दीवान और पी विल्सन की दलीलें सुनीं
दरअसल, कोर्ट ने सुनवाई के लिए वर्तमान मानदंडों को लेकर कई सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगे थे। बीते दिनों सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया। 
क्या एफिडेविट दिया केंद्र सरकार ने? 
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस शैक्षणिक वर्ष के लिए बरकरार रखा जाएगा। सरकार ने एक हलफनामे में कोर्ट को बताया है कि अगले साल नए मानदंड लागू किए जाएंगे। अपने एफिडेविट में सरकार ने कहा कि इस समय मानदंड बदलना – जब एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के छात्रों के लिए कॉलेजों का प्रवेश और आवंटन जारी है – जटिलताएं पैदा करेगा। सरकार ने कहा कि ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है।
क्या है संशोधित EWS मानदंड
संशोधित ईडब्ल्यूएस मानदंड विवादास्पद 8 लाख रुपये वार्षिक आय सीमा को बरकरार रखता है, लेकिन आय के बावजूद, पांच एकड़ या उससे अधिक की कृषि भूमि वाले परिवारों को शामिल नहीं करता है। हलफनामा अदालत के जवाब में था जिसमें सरकार से पूछा गया था कि उसने 8 लाख रुपये से कम की वार्षिक आय पर समझौता क्यों किया है जो कि ओबीसी के बीच ‘क्रीमी लेयर’ का निर्धारण करने के लिए समान मानक है।
नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने लिया फैसला
नवम्बर 2021 में पिछली सुनवाई में के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मौजूदा आय मानदंडों पर फिर से विचार किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा। सरकार ने पहले तर्क दिया था कि 8 लाख रुपये वार्षिक आय मानदंड संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अनुरूप था।
सुनवाई के दौरान क्या कहा था न्यायालय ने?
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सरकार के तय मानक से सहमत नहीं थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि आपके पास कुछ जनसांख्यिकीय या सामाजिक-आर्थिक डेटा होना चाहिए। आप केवल 80 लाख के आंकड़े को हवा से नहीं निकाल सकते। अदालत यह भी जानना चाहती थी कि मानदंड पूरे भारत में कैसे लागू किया जा सकता है। न्यायालय ने पूछा कि एक छोटे शहर या गांव में एक व्यक्ति की कमाई की तुलना मेट्रो शहर में कमाई करने वालों के साथ कैसे की जा सकती है?
ईडब्ल्यूएस कोटा विवाद से एनईईटी प्रवेश में देरी
ईडब्ल्यूएस कोटा मुद्दे पर विवाद ने एनईईटी प्रवेश को इतना प्रभावित किया है कि पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में जूनियर डॉक्टरों ने देरी के खिलाफ 14 दिनों का विरोध शुरू किया। डॉक्टरों ने सरकार पर इस मुद्दे पर अपने पैर खींचने का आरोप लगाया और देश की स्वास्थ्य सेवा के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी थी। खासकर कोविड महामारी के दौरान डॉक्टरों की चेतावनी काफी परेशानी खड़ी करने वाली हो सकती है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने डॉक्टर्स को आश्वस्त करते हुए निर्णय की जानकारी दी कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन रिपोर्ट पेश कर दिया गया है। इसके बाद डॉक्टर्स ने विरोध रोक दिया गया था। 

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