देश के 50 फीसदी से अधिक लोगों का मानना है कि आने वाला साल देश में धार्मिक/अंतर-सामुदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए एक सकारात्मक संदेश देगा। सद्भाव को मजबूत करने वाली सकारात्मकता आईएएनएस-सी वोटर स्टेट ऑफ द नेशन पोल 2020 के सर्वे में शामिल लोगों ने दिखाई है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच लोगों की यह सकारात्मक प्रतिक्रिया रही है।
सर्वेक्षण में देश के विभिन्न स्थानों से कुल 1,600 लोग शामिल किए गए। इनमें से 53.7 फीसदी लोगों को लगता है कि 2020 विभिन्न धार्मिक विश्वासों और समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध को मजबूत करने का काम करेगा। यह सर्वेक्षण वर्ष के अंतिम दिन आयोजित किया गया।
सर्वे में शामिल लगभग 22.4 फीसदी लोगों का मानना है कि धार्मिक सामंजस्य और जातिगत समीकरणों में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। यह दशार्ता है कि लोग राजनीतिक घटनाक्रम के संदर्भ में अनिश्चित हैं।
लगभग 24 फीसदी लोगों का मानना है कि यह आगे चलकर घट जाएगा, जो दर्शाता है कि वे इन व्यापक विरोध प्रदर्शनों के चश्मे से परिस्थितियों को देख रहे हैं।
सर्वेक्षण के दौरान दर्ज इन प्रतिक्रियाओं का महत्व है, क्योंकि वर्तमान समय में देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।
सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों ने देश के कई हिस्सों में हिंसक रूप ले लिया, खासकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय विरोध प्रदर्शनों के केंद्र के रूप में उभरा।
विरोध पर राजनीतिक तूफान अभी कम नहीं हुआ है, क्योंकि विभिन्न विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए अलग-अलग तरीकों का सहारा ले रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, 29.8 फीसदी लोगों ने विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक रुझान व्यक्त किए हैं। इसलिए यह स्पष्ट है कि इन विरोधों की पृष्ठभूमि में लोग देश के सामाजिक ताने-बाने में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए आशान्वित बने हुए हैं।