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खबरों के पथ-प्रहरियों का लुधियाना में हुआ सम्मान

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लुधियाना, सुनीलराय कामरेड : खबरों की पंक्तियों को प्रस्तुत करने वाले पत्रकारों द्वारा अक्सर कहा जाता है कि भले ही सैकड़ों शब्दों के जोड़-तोड़ से खबर बनती है किंतु उसको सजने-संवारने के लिए दुल्हन की बंदी की तरह और प्रमाणिकता के तौर पर खबर की साक्ष्य बनती है, फोटो जर्नलिस्ट की मौके पर खिंची तस्वीर। पंजाब साहित्य अकादमी के पूर्व प्रधान और शिरोमणि अवार्ड से सममानित लेखक डॉ सुरजीत पातर के मुताबिक एक अच्छी फोटो अपने आप में हजारों शब्दों की कहानी बयां करने के लिए काफी होती है। उन्हीं तस्वीरों के चंद प्रयासों के मंथन से लुधियाना फोटो जर्नलिस्ट एसो. के सदस्यों ने पंजांबी भवन के प्रांगण में जब लुधियाना की अनुभवी दो फोटो शखिसयतों को सममानित किया तो आगे बढ़ती विरासत को देखकर उनका सीना चौड़ा हो उठा।

अपनी जिंदगी के बेहतरीन 24सौ घंटे फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर विभिन्न अखबारों को समर्पित करने वाली इन शखिसयतों (धर्मवीर नेपाल और इंद्रजीत वर्मा) को पंजाबी भवन में पहली बार लगी इस प्रदर्शनी में पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त बाजवा ने साहित्य जगत की हस्तियों व लुधियाना की सियासत से जुड़े नेताओं और पत्रकारों के सामने सम्मानित किया तो उन शखिसयतों की आंखों में भावपूर्ण वह चमक दिखाई दी, जब एक सैनिक को सीमाओं पर सरहदों की रक्षा करते हुए सम्मान हासिल होता है।

World Photography Day1

लुधियाना के दो जवां फोटो जर्नलिस्ट जिनका पिछले दिनों दो विभिन्न दुर्घटनाओं में अल्प आयु में ही निधन हो गया था को समर्पित पहली बार लगी इस एगजीबिशन को देखने के लिए जहां प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न पार्टियों से जुड़े सियासी लोग, औद्योगिक राजघरानों के अलावा आने वाली भारत की भावी पीढ़ी युवा शक्ति भी विभिन्न समूहों में पहुंची हुई थी। पंजाब के ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा ने भी फोटो जर्नलिस्टों से आह्वान किया कि वह अपने कलम और कैमरों की मदद से ऐसी तस्वीर बनाएं जिससे प्रदेश की प्रगति, अतीत और सुनहरे भविष्य की रंग-बिरंगी तस्वीर सामने आएं।

World Photography Day2

इस अवसर पर सम्मानित फोटो जर्नलिस्ट धर्मवीर नेपाल से कैमरे दी अंख नाल खींची तस्वीरों और वर्तमान डिजिटल फोटो का जिक्र किया तो उन्होंने अतीत के पन्नों को पलटते हुए कहा कि उनका जन्म भारत-पाकिस्तान बंटवारे से 10 साल पहले हो गया था और विभाजन के 10 साल बाद ही उन्होंने बाक्स कैमरे और सलाइड कैमरों समेत वन-20 रोल वाले कैमरों को थामा है और डवेलेप करने के लिए फोटो लैब जाना पड़ता था क्योंकि उस वक्त फोटो नेगेटिव के लिए डार्करूम में पेपर पर उकेरा जाता था और फिर फोटो को सुखाने के लिए घंटो इंतजार किया जाता था। उन्होंने यह भी बताया कि फोटो ग्राफर को फोटो कैम्किल इस्तेमाल करते हुए अकसर खतरनाक बीमारियों का निमंत्रण दिया जाता था लेकिन आज डिजीटल युग आने से फोटो खींचना बहुत आसान है।

उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर आज की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने के इरादे से शाबाशी दी और कहा कि फोटो खींचते वक्त धैर्य से उस पल का इंतजार करन चाहिए जिससे फोटो जीवंत हो उठे। उन्होंने यह भी कहा कि आज हर मोबाइल कैमरों वाले शखस के हाथों में हुनर है और वह भी फोटो जर्नलिस्ट कहलाने को उतावला है। बहरहाल वल्र्ड फोटोग्राफरी दिवस के अवसर पर पहली बार लुधियाना में लगी फोटो जर्नलिस्टों की यह प्रदर्शनी सराहनीय है क्योंकि उन्होंने समूहिक रूप से इस प्रदर्शनी का समस्त खर्च एक दूसरे के सहयोग से वहन किया है और सरकार व प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसे अंथक प्रयास करने वाले फोटो पथ प्रहरियों को भविष्य में सहयोग दें।

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