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सरकार की योजना से कोई एतराज नहीं, पर NFSA के लाभार्थियों को पहले से तय दाम पर ही मिले राशन : केंद्र

पीडीएस के लाभार्थियों को घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि है कि उसे राज्य सरकार की योजना से कोई एतराज नहीं है बशर्ते राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत निर्धारित मूल्य पर ही लाभार्थियों को राशन मिलना चाहिए।

देश की राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थियों को घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि है कि उसे राज्य सरकार की योजना से कोई एतराज नहीं है बशर्ते राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत निर्धारित मूल्य पर ही लाभार्थियों को राशन मिलना चाहिए। 
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “केंद्र सरकार राज्यों द्वारा लागू की जाने वाली किसी योजना के खिलाफ नहीं है, लेकिन एनएफएसए के लाभार्थियों को केंद्र द्वारा तय मूल्य पर ही अनाज मिलना चाहिए।”
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ( एनएफएसए) के तहत पीडीएस के लाभार्थियों को काफी सस्ते दाम पर पांच किलो अनाज हर महीने प्रत्येक राशन कार्डधारक को मुहैया करवाया जाता है, जिसमें चावल महज तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं दो रुपये प्रति किलो की दर पर दिया जाता है। 
मगर, दिल्ली सरकार पीडीएस के तहत संचालित उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण के बजाय लाभार्थियों को घर-घर राशन पहुंचाने की योजना लागू करने जा रही है, जिसके तहत साबूत गेहूं की जगह गेहूं का आटा और चावल का पैकेट लाभार्थियों को दिया जाएगा। 
ऐसे में घर-घर राशन की इस योजना पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को लेकर सवाल है कि क्या लाभार्थियों को केंद्र सरकार द्वारा तय मूल्य के अतिरिक्त दाम चुकाना पड़ेगा। केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस स्कीम के तहत राशन के दाम में जो वृद्धि होगी उसका वहन कौन करेगा। 
बता दें कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (ओएनओआरसी) से देश के 32 राज्य जुड़ चुके हैं, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली समेत चार राज्य अब तक इस योजना से नहीं जुड़ पाए हैं। दिल्ली में करीब 17 लाख पीडीएस लाभार्थी हैं। 
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली और पश्चिम बंगाल में तैयारी पूरी कर ली गई है, जबकि असम और छत्तीसगढ़ में इस योजना पर काम काफी सुस्त रफ्तार से चल रही है क्योंकि अभी तक इन दोनों राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) मशीन भी नहीं लग पाई है। 

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