दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया मामले के चारों दोषियों के मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराने के लिए एनएचआरसी को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर किया। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।
इससे पहले सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मृत्युदंड की सजा पाए चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी । यह रोक तब तक रहेगी जब तक कि दोषियों की दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।
बीते छह हफ्तों में यह तीसरा मौका है जब चारों आरोपियों की फांसी की टाली गई है। चारों दोषियों को मंगलवार सुबह छह बजे एक साथ फांसी दी जानी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
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गौरतलब है कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात फिथिजियोरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और लगभग 15 दिन बाद मौत हो गई थी। बाद में मृतक को निर्भया नाम दिया गया था। इस मामले में मुकेश, पवन , विनय, अक्षय कुमार और एक किशोर समेत छह लोग आरोपी थे। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।