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निर्भया मामला : पवन जल्लाद बोले- अपराधी को फांसी देते समय कोई रहम नहीं होता

‘निर्भया’ मामले के दोषियों को फांसी देने की तैयारी संबंधी मीडिया रिपोर्टो की पृष्ठभूमि में अपराधियों को फांसी देने का काम करने वाले पवन जल्लाद का कहना है कि दुर्दांत अपराधी को मौत के फंदे पर लटकाते समय उनके दिल में कोई रहम नहीं होता है।

‘निर्भया’ मामले के दोषियों को फांसी देने की तैयारी संबंधी मीडिया रिपोर्टो की पृष्ठभूमि में अपराधियों को फांसी देने का काम करने वाले पवन जल्लाद का कहना है कि दुर्दांत अपराधी को मौत के फंदे पर लटकाते समय उनके दिल में कोई रहम नहीं होता है। उसके परिवार में तीन पीढ़ियों से लोग जल्लाद का काम करते आ रहे हैं। 
पवन का कहना है कि किसी भी अपराधी को फांसी देने की तैयारी करने के लिये बस एक दिन का समय काफी होता है। ‘निर्भया’ मामले में मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी देने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर जेल प्रशासन का आदेश आता है तो वह इसके लिए मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं। 
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मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि प्रशासन द्वारा निर्भया मामले के दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयारियां की जा रही हैं। मेरठ जेल के जल्लाद पवन ने बताया ”मेरे परिवार में तीन पीढियों से फांसी देने का काम हो रहा है। मेरे दादा कल्लू जल्लाद, पिता बब्बू जल्लाद के बाद अब मैं तीसरी पीढ़ी में यह काम कर रहा हूं।’’ 
करीब 55 साल के पवन जल्लाद का कहना है कि उन्हें फांसी देने की प्रक्रिया की समझ अपने दादा को देखकर आयी । जब उनके दादा को जिला प्रशासन किसी अपराधी को फांसी देने के लिए बुलाता था तो वह युवावस्था से ही उनकी मदद के लिए उनके साथ जाते थे। वह अपने दादा के साथ इस प्रकार के पांच मामलों में उनकी मदद के लिए साथ जा चुके हैं। 
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फांसी से पहले की तैयारियों के बारे में पवन ने बताया, ”किसी दोषी को फांसी देने के लिये मुझे एक दिन पहले तैयारियां करनी होती हैं । मुझे फांसी के फंदे की जांच करनी पड़ती है, फंदे में एक बोरी में वजन डालकर उसे लटका कर देखता हूं कि वह एक आदमी का भार वहन कर पायेगा या नहीं? उसके बाद जिस लकड़ी के पटरे पर दोषियों को खड़ा किया जाता है, उसकी मजबूती की भी जांच करनी पड़ती है कि वह पर्याप्त रूप से मजबूत है या नहीं। इसके साथ ही फांसी पर लटकाने के लिये जिस लीवर को खींचा जाता है उसमें भी तेल और ग्रीस लगानी पड़ती है ताकि फांसी के समय आसानी से लीवर खिंच सकें ।” 
एक सवाल के जवाब में पवन ने बताया, ”फांसी तड़के दी जाती है इसलिये मैं पूरी रात जागकर उसकी तैयारी करता हूं लेकिन मुख्य तैयारी आखिरी दो से तीन घंटे में होती है। फांसी देते समय किसी बात का डर या भय दिमाग में नही रहता हैं।” 
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पवन ने इस संबंध में मेरठ जेल प्रशासन से किसी प्रकार का आदेश मिलने से इंकार किया लेकिन साथ ही कहा कि वह आदेश की पालना करने के लिए 24 घंटे तैयार हैं। इसी संबंध में उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक आनंद कुमार ने शुक्रवार को बताया कि तिहाड. जेल, दिल्ली से उप्र शासन को दो जल्लादों को तैयार रखने को कहा गया था । चूंकि उप्र में मौजूद दो जल्लादों में से इस समय एक ही जल्लाद उपलब्ध है जो कि मेरठ में है इसलिए मेरठ जेल प्रशासन से उसे तैयार रखने को कहा गया है। हालांकि उन्होंने यह नही बताया कि तिहाड. जेल से किन दोषियों को फांसी देने के लिये जल्लाद तैयार रखने को कहा गया है। 
आनंद कुमार ने गुरूवार को यहां संवाददाताओं से कहा था कि दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन को जानकारी थी कि हमारे पास उत्तर प्रदेश में दो जल्लाद उपलब्ध है, जो इस काम के लिए अधिकृत है। इसलिये उन्होंने हमसे कहा है कि जब भी आवश्यकता पड़ेगी तो कम से कम समय में जल्लाद को तैयार रहने को कहें। इस संबंध में हमने उन्हें पत्र का जवाब दे दिया है और अपनी सहमति व्यक्त कर दी है कि जब भी आपको आवश्यकता होगी, हम उनको कम से कम समय में आपकी सेवा में भेज देंगे। जेल विभाग को तिहाड. जेल से नौ दिसंबर को एक फैक्स मिला था जिसमें उत्तर प्रदेश के दो जल्लादों के बारे में जानकारी मांगी गयी थी । हालांकि पत्र में यह नहीं लिखा था कि किसको फांसी देने के लिए जल्लाद की जरूरत है। 

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