निर्भया के दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता, जो यहां मंडोली जेल में बंद था, उसे हाल ही में तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि 16 दिसंबर को दोषियों को फांसी दी जाएगी।
दोषी के वकील ने हालांकि कहा कि जब तक सभी कानूनी उपचार समाप्त नहीं हो जाते, तब तक फांसी नहीं हो सकती।
दोषी के वकील ए.पी. सिंह ने कहा कि क्यूरेटिव पिटीशन सहित कई कानूनी उपाय दोषियों के पास उपलब्ध हैं और इन उपायों के समाप्त होने के बाद ही फांसी हो सकती है।
क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल किया जाता है, जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।
सिंह ने कहा कि एक दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति के समक्ष दायर अपनी दया याचिका वापस ले ली है। उन्होंने कहा, ‘इसके मद्देनजर सरकार फांसी प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ा सकती है? कानून सभी के लिए बराबर है।’
दोषियों के साथ उपलब्ध कानूनी उपायों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तक कि सरकार और जेल अधिकारी भी फांसी की सजा के साथ आगे नहीं बढ़ सकते।
निर्भया के परिजनों के वकील जितेंद्र कुमार झा ने कहा कि फांसी अभी नहीं दी जा सकती, क्योंकि 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए दोषियों में से एक अक्षय सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
उन्होंने कहा कि वह अदालत से इस प्रक्रिया को समयबद्ध करने का अनुरोध करेंगे, ताकि दोषियों को फांसी की सजा दी जा सके।
इस बीच पटियाला हाउस कोर्ट शुक्रवार को निर्भया के माता-पिता द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी, जिसमें फांसी की प्रक्रिया को तेज करने की मांग की गई है।