वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए आपूर्ति पक्ष के स्तर पर पिछले चार महीनों में कई कदम उठाये हैं। उन्होंने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि प्रमुख आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की सरकार नियमित रूप से निगरानी करती है और समय-समय पर सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है।
इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने उत्पादकों से खाद्य तेलों की वैश्विक
मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये किये गये उपायों में- दालों पर लगने वाले आयात शुल्क और उपकर में कमी करना, शुल्क को युक्तिसंगत बनाना और खाद्य तेलों तथा तिलहन पर भंडार सीमा लागू करने जैसे उपाय शामिल हैं। इसके अलावा, प्याज और दालों के लिए बफर स्टॉक बनाने, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में 30 जून, 2022 तक सोया खली को एक आवश्यक वस्तु के रूप में शामिल करने तथा 30 जून, 2022 तक सोया खली पर भंडार सीमा को लागू करने जैसे उपाये भी किये गये। इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने उत्पादकों से खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच खाद्यतेलों के खुदरा कीमतों में कमी करने और सभी भौगोलिक क्षेत्रों में कीमतों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए कहा था।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने
जानकारी के मुताबिक उन्होंने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए विभिन्न उपायों को साझा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने प्रमुख खाद्य तेल संघों को तत्काल प्रभाव से खाद्य तेलों के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) में 15 रुपये की कमी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।इसके अलावा, सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए 21 मई, 2022 को पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क कम किये।उन्होंने कहा कि मूल्य स्थिरीकरण के लिए प्याज और दालों का बफर स्टॉक रखा गया है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, सीतारमण ने कहा कि भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी और टाटा क्लीनटेक कैपिटल सहित 15 कंपनियों ने पिछले पांच साल से हरित बांड से 4,539 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इन कंपनियों ने 6.49-8.74 प्रतिशत ब्याज पर धन जुटाया।