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नीति आयोग ने कहा- ‘दवाओं के नियमन का भारतीय मानदंड वैश्विक मानकों के अनुरूप हों’

नीति आयोग ने देश में मेडिकल उपकरणों के नियमन के लिए अलग संस्था के गठन की सलाह दी है। फिलहाल देश में दवाओं और मेडिकल

नीति आयोग ने देश में मेडिकल उपकरणों के नियमन के लिए अलग संस्था के गठन की सलाह दी है। फिलहाल देश में दवाओं और मेडिकल उपकरणों का नियमन भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा किया जाता है। नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दवाओं के नियमन का भारतीय मानदंड ना सिर्फ वैश्विक मानकों के बल्कि ‘अंतरराष्ट्रीय सामंजस्य परिषद’ के निर्देशों के अनुरूप भी होना चाहिए ताकि व्यापार में आसानी हो।  नयी औषधि, मेडिकल उपकरणों और प्रसाधन विधेयक, 2023 पर अंतर-मंत्रालयी विचार के दौरान यह सिफारिशें की गई हैं।
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सभी पक्षों से सलाह मांगी गई थी
नयी औषधि, मेडिकल उपकरणों और प्रसाधन विधेयक, 2023 का मसौदा संसद में पारित होने के बाद मौजूदा औषधि और प्रसाधन कानून, 1940 की जगह लेगा। इस विधेयक के मसौदे को पिछले साल जुलाई को सार्वजनिक मंच पर रखा गया और सभी पक्षों से सलाह मांगी गई थी। विधेयक को अब समीक्षा के बाद अंतर-मंत्रालयी चर्चा के लिए भेजा गया है। क्लीनिकल परीक्षण पर नीति आयोग का कहना है कि विधेयक के मसौदे में वैश्विक मानकों के प्रति भारतीय मानदंडों की झिझक को दूर करने, क्लीनिकल परीक्षणों, समय पर फैसले लेने और नए उपचार को भारतीय जनता तक जल्दी पहुंचाने के लिए आईसीएच के दिशा-निर्देशों को अपनाने और उसके अनुरूप बनाने तथा व्यापार में आसानी की मंशा नजर आनी चाहिए।
मामलों से कथित रूप से जुड़े हुए हैं
आधिकारिक सूत्रा के अनुसार, ‘‘वैश्विक मानकों को अपनाने से दवाओं का निर्यात बढ़ेगा और घरेलू तथा वैश्विक बाजार में आपूर्ति हो रही दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। यह हाल ही में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में आयी गुणवत्ता की समस्या से भी निपटेगा।’’ भारत में बने कफ सिरप गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में पिछले साथ हुई बच्चों की मौत मामलों से कथित रूप से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में दवाओं, प्रसाधन सामग्री और मेडिकल उपकरणों का नियमन ‘औषधि और प्रसाधन अधिनियम, 1940’ के तहत होता है। भारतीय औषध कोष में उल्लेखित दवाओं की गुणवत्ता का मानदंड और अन्य नियम इसी कानून के तहत बने हैं।
भारतीय मानदंड को मान्यता नहीं देते हैं
सूत्र ने कहा, ‘‘लेकिन, बेहद कड़े नियम वाले देशों जैसे अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ में उनके नियमन का स्तर बहुत उच्च है ताकि वे मेडिकल उत्पादों की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें। सामान्य रूप से कई देश अपने यहां दवाएं आयात करने में औषधि नियमन के भारतीय मानदंड को मान्यता नहीं देते हैं।’’ इसके अलावा, समीक्षा के बाद तैयार किए गए विधेयक के मसौदे में केन्द्र सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि प्रमुख नियामक संस्था सीडीएससीओ को दवाओं और प्रसाधन सामग्री के निर्माण का नियमन करने का अधिकार दिया जाएगा। फिलहाल इनका नियमन राज्य के औषधि नियामक करते हैं।

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