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कोई शक्ति कश्मीरी पंडितों को लौटने से नहीं रोक सकती : राजनाथ सिंह

उन्होंने यह कहते हुए पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश भेजा कि भारत किसी को छूएगा नहीं , लेकिन यदि उसे कोई परेशान करता है तो वह उसे शांति से रहने भी नहीं देगा।

मंगलुरु : विपक्ष को निशाने पर लेते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के बहुमत वाली राज्य विधानसभाओं में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर ‘संवैधानिक महाभूल’ नहीं करने का आह्वान किया और उसे ‘विपक्षधर्म’ के लिए ‘राष्ट्रधर्म’ को नही भूलने की सलाह दी। 
वरिष्ठ भाजपा नेता ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों को कश्मीर वापस जाने से कोई ताकत नहीं रोक सकती । उन्होंने जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन करने और अनुच्छेद 370 के तहत उसे प्राप्त विशेष दर्जा को समाप्त करने के राजग सरकार के फैसले का जबर्दस्त बचाव किया। उन्होंने यह कहते हुए पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश भेजा कि भारत किसी को छूएगा नहीं , लेकिन यदि उसे कोई परेशान करता है तो वह उसे शांति से रहने भी नहीं देगा। 
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का जोरदार बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी भी धर्म की भावनाएं आहत करने का कानून नहीं है, बल्कि यह धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को राहत प्रदान करने के लिए है। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का नारा दे चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेंगे और भारतीय मुसलमानों की नागरिकता को कोई नुकसान नहीं होगा। सिंह ने कहा कि विपक्ष ने सवाल उठाया है कि यदि इन तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता दी जा सकती है तो मुसलमानों को क्यों नहीं। 
उन्होंने कहा, ‘‘ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान कोई धर्मनिरपेक्ष देश नहीं है। ये मजहबी मुल्क हैं। इस्लाम इन तीनों देशों का धर्म है। भारत धर्मनिरपेक्ष है। यही वजह है कि जो लोग इस्लाम का पालन करते हैं , उनका पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न नहीं किया जा सकता।’’ विपक्ष शासित कई राज्यों द्वारा सीएए को लागू नहीं करने का फैसला करने के बीच सिंह ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून एक केंद्रीय कानून है और सभी को उसका पालन करना चाहिए। 
उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ विपक्षी पार्टियां विधानसभाओं (जहां वे बहुमत में हैं) से प्रस्ताव पारित कर रही हैं कि उनके राज्य संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे। मैं उनसे ऐसी चीजें नहीं करने की अपील करता हूं। यह संवैधानिक महाभूल है। कृपया ऐसी भूल मत कीजिए।’’ कांग्रेस पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी को विपक्षधर्म के नाम पर राष्ट्रधर्म को नहीं भूलना चाहिए। 1990 के दशक में आतंकवाद के चरम पर रहने के दौरान घाटी से बड़ी संख्या में हुए कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि अब कोई भी ताकत उन्हें उनके घरों में लौटने से नहीं रोक सकती।
उन्होंने कहा कि पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गये अदनाम सामी को तब नागरिकता दी गयी जब वह (राजनाथ सिंह) पहली मोदी सरकार में गृहमंत्री थे। सीएए को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने नवंबर, 1947 में प्रस्ताव पारित किया कि पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने सवाल किया, ‘‘अब विरोध क्यों?’’ सिंह ने कहा कि भारत दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों के बीच खड़ा है और वह 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 

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