न्यायाधीशों के स्थानांतरण और पदोन्नति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को कार्रवाई की चेतावनी देने के एक हफ्ते बाद कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के 10 न्यायाधीशों के स्थानांतरण (ट्रांसफर) का प्रस्ताव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के तहत है. एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, मंत्री ने कहा कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) में कोई समयरेखा निर्धारित नहीं की गई है.
कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि सरकार अभी भी पुराने एमओपी के अनुसार चल रही है. क्योंकि मार्च 2016 में SC के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के निर्देश पर तैयार किए गए नए एमओपी को सीजेआई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम द्वारा अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.
स्थानांतरण सूची में शामिल न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को कहा था कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की पदोन्नति और स्थानांतरण के फैसले पर केंद्र का निर्णय न लेना ठीक नहीं है. एससी ने कहा कि इस तरह की कार्यशैली कार्रवाई करने पर मजबूर करेगी. कोर्ट ने यह भी धमकी दी थी कि स्थानांतरण सूची में शामिल न्यायाधीशों को और देरी की स्थिति में न्यायिक कार्य नहीं दिया जा सकता है.
एमओपी में कोई समयरेखा निर्धारित नहीं
वहीं कानून मंत्री ने शुक्रवार को दोहराया कि एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए एमओपी में कोई समयरेखा निर्धारित नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि स्थानांतरण सूची में 10 न्यायाधीशों के संबंध में सिफारिश अभी भी लंबित है. उन्होंने कहा कि सारे तबादले पूरे देश में न्याय के बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए जनहित में किए जाने हैं.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर प्रयागराज में कहा था कि इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, हम सिर्फ सेवक हैं. संविधान के अनुसार देश चलेगा. कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है.
पहले भी दिए ऐसे बयान
इतना ही नहीं किरेन रिजिजू के एक बयान पर बहस भी छिड़ चुकी है. उन्होंने कहा था कि जजों को एक बार जज बनने के बाद किसी आम चुनाव या सार्वजनिक तौर पर जांच का सामना नहीं करना पड़ता. यही वजह है कि जनता आपको बदल भी नहीं सकती, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि जनता आपको देख नहीं रही है.