गन्ना खरीद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अब राज्य अपने यहां गन्ने की न्यूनतम खरीद कीमत तय कर सकते हैं, लेकिन किसी भी कीमत में यह केंद्र की तरफ से तय मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने साल 2005 में दायर वेस्ट उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर अपना फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह एवं न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की संविधान पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें गन्ने की न्यूनतम खुदरा कीमत तय कर सकती हैं और वह केंद्र द्वारा निर्धारित कीमत से ज्यादा है तो उसमें कोई दिक्कत नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने वेस्ट उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएश उत्तर प्रदेश सरकार मामले में यह निर्णय दिया है। यह याचिका 2005 में दायर की गयी थी। संविधान पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को भी न्यूनतम दाम तय करने का पूरा अधिकार है, लेकिन उसने यह स्पष्ट किया कि राज्य को केंद्र सरकार की ओर से तय की गई कीमत से ज्यादा दाम तय करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से तय किया हुआ दाम ही मान्य होगा, लेकिन यदि राज्य सरकार केंद्र से ज्यादा कीमत देने की सलाह देती है तो फिर बात अलग है। दायर याचिका में मिल मालिकों का कहना था कि कीमत तय करने का हक सिर्फ केंद्र को है।