उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू गोरक्षकों की हिंसक की घटनाओं के संदर्भ में केंद्र एवं राज्यों से कहा कि वे किसी भी स्वयंभू गोरक्षकों को संरक्षण नहीं दें। अदालत ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं पर उनसे जवाब मांगा है।
न्यायमूतर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूतर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूतर्ति एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को केन्द्र ने सूचित किया कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन वह देश में गोरक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों का समर्थन नहीं करता।
पीठ ने कहा, आपका कहना है कि कानून-व्यवस्था राज्य के अधीन है और राज्य कानून के अनुसार कदम उठा रहे हैं। आप किसी प्रकार के स्वयंभू रक्षक समूह का समर्थन नहीं करते। न्यायालय ने सोशल मीडिया पर अपलोड की गई गोरक्षा के नाम पर हिंसक सामग्री को हटाने के लिए केंद्र एवं राज्यों से सहयोग मांगा।
सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा, कानून-व्यवस्था राज्य के अधीन है और केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, लेकिन केंद्र का मानना है कि कानून की प्रक्रिया के अनुसार देश में किसी भी स्वंयभू गोरक्षक समूह का कोई स्थान नहीं है। भाजपा शासित गुजरात एवं झारखंड की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि स्वयंभू गोरक्षा संबंधी हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ उचित कावार्ई की गई है।
पीठ ने उनका बयान दर्ज किया और केंद्र एवं अन्य राज्यों को हिंसक टनाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तारीख तय की है।