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SC का ILP प्रणाली से इंकार के खिलाफ असम छात्र संघ की याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस

देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने असम को ‘इनर लाइन परमिट’ से वंचित करने के उद्देश्य से बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन (बीईएफआर), 1873 में संशोधन के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली असम छात्र संघों की याचिकाओं पर बुधवार को केन्द्र से जवाब मांगा।

देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने असम को ‘इनर लाइन परमिट’ से वंचित करने के उद्देश्य से बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन (बीईएफआर), 1873 में संशोधन के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली असम छात्र संघों की याचिकाओं पर बुधवार को केन्द्र से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे़ न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राष्ट्रपति के आदेश पर एकतरफा रोक लगाने से इंकार कर दिया। पीठ ने इन याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया और मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
आईएलपी व्यवस्था वाले राज्यों में बाहरी और देश के दूसरे राज्यों के लोगों को आने के लिये अनुमति लेना जरूरी है। इसके तहत स्थानीय लोगों को भूमि, रोजगार और अन्य सुविधाओं के मामले में संरक्षण प्राप्त है। छात्र संघों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि इनर लाइन परमिट व्यवस्था का मसला संवेदनशील है और न्यायालय को राष्ट्रपति के आदेश पर अंतरिम रोक लगानी चाहिए।
इस पर पीठ ने कहा कि सारे मामले में केन्द्र का पक्ष सुने बगैर कोई अंतरिम रोक नहीं लगायी जा सकती है। ऑल ताई अहोम स्टूडेन्ट्स यूनियन और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद ने बीईएफआर में संशोधन करने के राष्ट्रपति के 11 दिसंबर, 2019 के आदेश को चुनौती देते हुये इसे असंवैधानिक बताया है।
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने संशोधन का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 372(2) के तहत जारी किया है जबकि अनुच्छेद 372 (3) के तहत संविधान लागू होने की तारीख से तीन साल तक अर्थात 1953 तक ही उन्हें यह शक्ति प्राप्त थी। ये छात्र संगठन नागरिकता संशोधन कानून के प्रभाव से संरक्षण के लिये राज्य में आईएलपी व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम में कई छात्र संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रपति द्वारा आदेश पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद मणिपुर में भी आईएलपी व्यवस्था का विस्तार हो गया है। अभी तक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में ही इनर लाइन परमिट व्यवस्था थी, लेकिन अब इसमें मणिपुर भी शामिल हो गया है।

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