कोरोना के कारण न्याय की दहलीज भी डिजिटल में परिवर्तित हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण ने कहा है कि वकीलों के पास यदि लैपटॉप या डेस्कटॉप नहीं है तो वे अपने मोबाइल फोन के माध्यम से सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। यह जानकारी उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने दी।
इस तरह से रखे फोन आवाज और चेहरा साफ दिखे
न्यायमूर्ति रमण ने हालांकि, बार के सदस्यों से अनुरोध किया कि मोबाइल फोन को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि वकील का चेहरा दिखाई दे और आवाज सुनाई दे।यह घटनाक्रम सीजेआई द्वारा मोबाइल के उपयोग के कारण डिजिटल सुनवाई के दौरान व्यवधान पर अप्रसन्नता व्यक्त किए जाने के एक दिन बाद हुआ है।
बाद में, शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने एक परिपत्र के माध्यम से, अधिवक्ताओं और वादियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जाने वाली सुनवाई में शामिल होने के लिए एक स्थिर इंटरनेट कनेक्शन वाले डेस्कटॉप या लैपटॉप का उपयोग करने को कहा था।
इससे पहले, मंगलवार को दिन में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने प्रधान न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ एक डिजिटल बैठक की।
फोन रखने पर की गई चर्चा
एससीबीए ने एक प्रेस बयान में कहा, ‘‘बैठक के दौरान, अदालत की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मोबाइल फोन के उपयोग के मुद्दे पर चर्चा की गई। प्रधान न्यायाधीश ने कार्यकारी समिति को आश्वासन दिया कि यह केवल निर्बाध न्यायालय सुनवाई के लिए एक सलाह है और यदि किसी वकील के पास लैपटॉप/डेस्कटॉप नहीं है तो वह मोबाइल फोन के माध्यम से सुनवाई में शामिल हो सकता है।
कोरोना के कारण दूसरी बार हो रहा हैं ऐसा
कोरोना की दूसरी लहर में सुप्रीमकोर्ट ने कुछ ऐसा ही आदेश दिया था। भारतीय इतिहास ऐसा पहला बार हुआ था कि जब भारत की सर्वोच्च अदालत की चौखट बंद हुई हो। दुसरी लहर में वकीलों की गुजारिश पर अदालत ने अपना कार्य डिजिटल मोड़ पर लाया था। लेकिन इस बार अदालत ने वकीलों को कोरोना की चपेट में आने से बचाने के लिए विचार विमर्श करके फोन से जुडने की छूट भी दे दी हैं ।