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पूर्वोत्तर में अब शांति है और नाकेबंदी, उग्रवाद, कर्फ्यू जैसे शब्द बेमानी हो गए : जी किशन रेड्डी

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को केंद्र सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि वहां शांति स्थापना होने के बाद हालात बहुत बदल गए हैं और नाकेबंदी, उग्रवाद, कर्फ्यू जैसे शब्द बेमानी हो गए हैं।

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को केंद्र सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि वहां शांति स्थापना होने के बाद हालात बहुत बदल गए हैं और नाकेबंदी, उग्रवाद, कर्फ्यू जैसे शब्द बेमानी हो गए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के कामकाज पर कल उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए रेड्डी ने यह भी कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र को मोदी सरकार के ‘‘ट्रांसफार्मिंग इंडिया’’ दृष्टिकोण के तहत शीर्ष प्राथमिकता दी गई है।  
पूर्वोत्तर में दो पहलुओं पर काम किया जा रहा है 
उन्होंने कहा ‘‘पूर्वोत्तर में दो पहलुओं पर काम किया जा रहा है। वहां की अलग अलग चुनौतियां थीं जिन्हें दूर करने की वर्तमान सरकार ने पूरी कोशिश की है। इसके अलावा वहां विकास के नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं। यही वजह है कि पर्यटन से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में विकास जारी है और इस विकास की पहली शर्त के तौर पर वहां शांतिपूर्ण माहौल बनाया गया है।’’ रेड्डी ने कहा ‘‘आज पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और स्थिरता का माहौल है। इसीलिए वहां अवसंरचना विकास हो पाया और निवेश भी हुआ है। ’’ 
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2014 के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा ‘‘उग्रवाद के मामले 2014 में 824 थे जो 2020 में घट कर 163 रह गए। चरमपंथी गतिविधियां भी घटी हैं । कुल 212 नागरिक उग्रवादी हिंसा में 2014 में मारे गए थे जबकि अब यह संख्या इकाई में आ गई है। बड़ी संख्या में चरमपंथियों ने आत्मसमर्पण किया है। 2014 में 291 चरमपंथियों ने जबकि 2020 में 2696 चरमपंथियों ने समर्पण किया। 2014 में अपहरण के मामले 269 थे जो 2020 में 69 रह गए। ’’  
विभिन्न विद्रोही समूहों के साथ बातचीत की गई और समझौते भी किए गए 
रेड्डी ने कहा ‘‘ शांति तथा समृद्धि विकास के लिए पहली शर्त होती है। इसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्राथमिकता दी। इसके तहत विभिन्न विद्रोही समूहों के साथ बातचीत की गई और समझौते भी किए गए। ’’ उन्होंने बताया कि 10 अगस्त 2019 को भारत सरकार और त्रिपुरा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के साथ समझौता किया गया। उन्होंने कहा कि 27 जनवरी 2022 में बोडो समूह के साथ भी समझौता किया गया और 1615 कैडरों ने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि ब्रू परिवारों को भी मुख्यधारा में लाने के प्रयास जारी हैं।’’ 
उन्होंने कहा कि आज पूर्वोत्तर क्षेत्र में कानून व्यवस्था मजबूत हुई है जिससे वहां सामान्य कामकाज होता है और बंद, नाकेबंदी, कर्फ्यू तथा हड़ताल शब्द वहां के लिए बेमानी हो गए हैं। आज वहां के स्कूलों और कार्यालयों में सामान्य तरीके से कामकाज हो रहा है। रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर को विशेष पैकेज दिए और अन्य सुविधाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि 2014 की तुलना में हर केंद्रीय मंत्रालय की ओर से दिये जाने वाले दस फीसदी के जीबीएस (ग्रॉस बजटरी सपोर्ट) में आज 110 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कई कार्य किए जा रहे हैं।  
पूर्वोत्तर के विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है 
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर को इस साल के बजट में 4,300 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस साल पहली बार 15,000 करोड़ रुपये की लागत वाली एक नयी योजना शुरू की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि 2014 के बाद से पूर्वोत्तर के विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है। रेड्डी ने कहा कि जल मार्ग संपर्क, रेल संपर्क, हवाई संपर्क, टेलीफोन संपर्क, राजनीतिक संपर्क, ब्रॉडबैंड संपर्क से लेकर इंटरनेट संपर्क तक मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए ‘‘संपर्क’’ पहले बड़ी समस्या था जो अब बहुत पीछे छूट गया है।  
यह विश्व रिकॉर्ड है और 19 किमी की 21 टनल काम करने लगी हैं 
उन्होंने कहा कि पहले 2014 से लेकर 2021 तक रेलवे संपर्क और संबंधित अवसंरचना के विकास पर 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भूभागीय स्थिति को देखते हुए रेलवे के लिए 121 टनल 146 किलोमीटर की दूरी के लिए बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा ‘‘यह विश्व रिकॉर्ड है और 19 किमी की 21 टनल काम करने लगी हैं।’’ 
रेड्डी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की विषम भूभागीय स्थिति के मद्देनजर सुरक्षित संपर्क प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियर समुदाय की मदद ली जा रही है। इसका उदाहरण मणिपुर की जिरिबम इम्फाल रेल लाइन है जिसमें 141 मीटर की ऊंचाई पर ट्रेन चलाने के लिए निर्माण जारी है। उन्होंने बताया कि जन शताब्दी एक्सप्रेस, रेलवे पार्सल सेवा और माल गाड़ी सेवाएं भी उल्लेखनीय हैं जिनके कारण पूर्वोत्तर में विकास के नए आयाम रचे जा रहे हैं।

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