राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर कुछ राज्यों के विरोध के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को एनपीआर पर सवाल उठाने वाले दलों से सवाल किया कि जब कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने इसे पेश किया तो इसका स्वागत किया गया, लेकिन जब एडीए शासन इसे दोहरा रहा है तो इसे “बुरा” बताया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि 1955 के मुख्य नागरिकता अधिनियम में विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए ‘‘देशीकरण’’ का प्रावधान अभी भी बना हुआ है और उसी के आधार पर पाकिस्तानी गायक अदनान सामी भारतीय नागरिक बने।
जावड़ेकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देने के दौरान कहा, “वह प्रावधान (नागरिकता देने का) अभी भी है। संशोधित नागरिकता कानून तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के बारे में है, जो न्याय के लिए भारत आए… संशोधन नागरिकता देने के लिए है और इसे लेने के लिए नहीं।”
केरल और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने एनपीआर का विरोध किया है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र का पक्ष सुने बिना संशोधित नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में जावड़ेकर ने कहा, “जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून का विरोध किया है, उन्होंने खुद की राय बना ली है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस (सीएए) पर रोक नहीं लगाने का फैसला किया।”
एनपीआर पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि माता-पिता के जन्म स्थान और जन्मतिथि की जानकारी देना वैकल्पिक है। उन्होंने कहा, “अगर आपको पता नहीं है या याद नहीं है, तो न बताइए… कई प्रश्न वैकल्पिक हैं।”
एनपीआर की शुरुआत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसे कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने 2010 में पेश किया था। उन्होंने कहा, “तब आप सभी ने इसका स्वागत किया। वे इसे लाए, तो अच्छा है। जब हम लाए, तो बुरा है। ऐसा नहीं हो सकता। ये सही नहीं है।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिकता पंजी असम तक सीमित है और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी लाए थे। उन्होंने कहा, “वे इसे (एनआरसी) लाए तो अच्छे हैं। हम नहीं लाए तो हम बुरे हैं।”
दिल्ली के शाहीन बाग में किसी “प्रस्तावित” पुलिस की कार्रवाई के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा उस क्षेत्र में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा, “शाहीन बाग में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, एक शिकायत है… पुलिस जामिया (विश्वविद्यालय) में गई, तो शिकायत है, पुलिस जेएनयू (परिसर) में नहीं गई, तो शिकायत है। ऐसे तो नहीं चलता है।