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पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणियों से छवि हो रही धूमिल, याचिका पर SC करेगा सुनवाई

देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरतभरे बयानों से उनके धर्म को हीन भावना से देखा जा रहा है। तो वहीं, ऐसे भाषणों से उनकी छवि को भी चोट पहुंच रही है।

देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरतभरे बयानों से उनके धर्म को हीन भावना से देखा जा रहा है। तो वहीं, ऐसे भाषणों से उनकी छवि को भी चोट पहुंच रही है। ऐसे में इस्लाम प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद की छवि खराब करने के मामलों की जांच की मांग वाली अर्जी पर देश की शीर्ष अदालत, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।  
पैगंबर मोहम्मद की छवि को बिगाड़ने वाली टिप्पणियां की गई  
सोमवार को अदालत ने ऐसी याचिका पर सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय की है। इस अर्जी में मांग की गई है कि पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणियों और हेट क्राइम के मामलों की कोर्ट की निगरानी में जांच चलनी चाहिए और फिर आरोपियों पर केस होना चाहिए। अर्जी में कहा गया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जब पैगंबर मोहम्मद की छवि को बिगाड़ने वाले टिप्पणियां की गई हैं। इसके चलते इस्लाम को मानने वाले लोगों की आस्था पर चोट पहुंची है। 
9 मई को होगी इस मसले पर सुनवाई  
जस्टिस एएम खानविकल्कर ने कहा कि इस मसले पर 9 मई को सुनवाई होगी। उसी दिन ऐसी अन्य याचिकाओं पर भी विचार किया जाएगा। यह अर्जी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना सैयद महमूद असद मदनी दायर की थी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार को आदेश देना चाहिए कि वह हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि ऐसी कई मामले सामने आए हैं, जब पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद पर हमला करना एक तरह से इस्लाम पर ही सलाम उठाने जैसा है। 
याचिका में कहा गया कि जिस तरह की आलोचनाएं की गई हैं, वे किसी की आस्था से मतभेद होने से कहीं ज्यादा है। यह एक तरह का हेट क्राइम है। इस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को ऐक्शन लेना चाहिए। मदनी ने अपनी अर्जी में कहा कि इस तरह की टिप्पणियां देश के सेकुलर कैरेक्ट को नुकसान पहुंचाने वाली हैं।  
बनाई जाए एक स्वतंत्र समित 
इसके अलावा याचिका में इस तरह के सभी मामलों के लिए स्वतंत्र समिति गठित करने की भी मांग की गई है। दलील में कहा गया है कि इस तरह के भाषण, निश्चित रूप से धार्मिक असहिष्णुता को भड़काने की संभावना रखते हैं। राज्य और केंद्र सरकार को इसे विचार की स्वतंत्रता के संबंध में असंगत मानना चाहिए।  
उल्लेखनीय है कि देश में पिछले कुछ समय से हिंदू और मुसलमानों के बीच रिश्ते में खटास डालने की पुरजोर कोशिश की गई है। कुछ अराजकतत्व इस भूमिका को काफी सही ढंग से पूरा करने में भी कामयाब हुए है, लेकिन फिर भी तमाम राज्य सरकारों ने इस पर ध्यान दिया है।

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