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खान और खनिज विनियमन संशोधन विधेयक का मकसद आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना : प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि खान और खनिज संशोधन विधेयक 2021 विधेयक का मकसद खदानों की नीलामी एवं आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना एवं कारोबार के अनुकूल माहौल तैयार करना है।

केंद्रीय खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2021 विधेयक का मकसद खदानों की नीलामी एवं आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना एवं कारोबार के अनुकूल माहौल तैयार करना है।
जोशी ने विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए कहा कि मोदी सरकार के आने से पहले कोयला खदानों के आवंटन में भेदभाव होता था और चिट्ठियों के आधार पर आवंटन होता था। खान एवं खनन मंत्री ने आरोप कि राजग सरकार से पहले की सरकारों में कोयला खदान आवंटन में कितना भ्रष्टाचार होता था, कितने घोटाले हुए, यह सब जानते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ अब हमने इसे बदलकर प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि इससे केंद्र के साथ राज्यों के खजानों को बढ़ाने में योगदान होगा। जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघीय ढांचे में भरोसा करते हैं इसलिए 2015 में केंद्र ने राज्यों को अधिकार दिये और अब राज्य बिना केंद्र की पूर्व मंजूरी के खानों की नीलामी, आवंटन कर सकते हैं।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के विन्सेंट पाला ने आदिवासी जनसंख्या के आधार पर संविधान की छठी अनुसूची में आने वाले त्रिपुरा, मेघालय, असम और मिजोरम जैसे राज्यों को इस संशोधन से अलग रखने की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि राज्यों में हस्तक्षेप को कम करने के लिए सरकार ने क्या सुधार किये हैं।
जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) को लेकर सरकार ने क्या सुधार किये हैं? पाला ने कहा कि इस कानून को लगभग हर साल संशोधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे दो ही कारण हो सकते हैं, या तो मंत्रालय पुख्ता विधेयक बनाने में पूरी तरह सक्षम नहीं है या उस पर किसी का दबाव है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सुनील कुमार सिंह ने कहा कि भारत में लगभग 95 खनिजों का उत्पादन होता है, लेकिन एक समग्र नीति नहीं होने की वजह से कुछ ही खनिजों पर ध्यान रहता था। उन्होंने कहा कि इसलिए समग्रता की दृष्टि से यह संशोधन लाया गया है।
सिंह ने कहा कि यह सरकार कानून में इसलिए संशोधन करती है क्योंकि खनन का लाभ नागरिकों को दिला सके। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से खनिजों का जिस तरह से संदोहन होना चाहिए था, वह नहीं हुआ, बल्कि शोषण हुआ। सिंह ने कांग्रेस सदस्य के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकारों ने कानून बनाए और सुधार के लिए उनमें संशोधनों की जरूरत नहीं समझी।
उन्होंने कहा कि देश में धरती के नीचे खनिजों की संपदा होने के बावजूद बड़ी संख्या में आबादी को गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करना पड़ रहा है, इसलिए संशोधन लाया गया है।
सिंह ने कहा कि यह कानून खनन क्षेत्र को बेड़ियों से मुक्त करने का सार्थक प्रयास है और इस संशोधन से राज्यों का राजस्व बढ़ेगा व पारदर्शिता आएगी। वाईएसआर कांग्रेस के रेद्देपा एन गारी ने कहा कि इससे खनन क्षेत्र को और विशेष रूप से वाणिज्यिक कोयला खनन क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। खनन क्षेत्र के पूरे दोहन के लिए संशोधन जरूरी है ताकि राज्यों का राजस्व बढ़े।

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