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ओम बिरला की जनप्रतिनिधियों को नसीहत, बोले- सदन के भीतर हों या बाहर, शालीनता के उच्च मानदंडों का पालन करें

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि सर्वोच्च जनतांत्रिक संस्था होने एवं अन्य संस्थाओं के लिये आदर्श होने के नाते जनप्रतिनिधि अपने कार्यों में और सदन के भीतर तथा बाहर शालीनता के उच्चतम मानदंडों का पालन करें।

देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद का महत्व काफी अधिक है। ऐसे में अगर कोई गणमान्य जनप्रतिनिधि इसका उल्लंघन करता है, तो इसे अनुशासनहीनता से जोड़कर देखा जाएगा। संसद और विधान मंडलों में अनुशासन और शालीनता बनाये रखने के महत्व को रेखांकित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि सर्वोच्च जनतांत्रिक संस्था होने एवं अन्य संस्थाओं के लिये आदर्श होने के नाते जनप्रतिनिधि अपने कार्यों में और सदन के भीतर तथा बाहर शालीनता के उच्चतम मानदंडों का पालन करें।
वहीं, संसदीय सौंध में आयोजित 81वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के नाते सदस्य का एक प्रतिष्ठित दर्जा होता है। जहां सदस्यों को अपने संसदीय कर्तव्यों को निर्बाध रूप से संपन्न करने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं, वहीं इन विशेषाधिकारों के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी जुड़ी हुई हैं। ’’ उन्होंने कहा ‘‘ सर्वोच्च जनतांत्रिक संस्था होने के नाते हम देश की अन्य संस्थाओं के लिए आदर्श हैं और हमें अपने कार्यों में अनुशासन और शालीनता के उच्चतम प्रतिमानों को बनाए रखना चाहिए।’’
बिरला ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि हाल के वर्षों में जनप्रतिनिधियों के अशोभनीय व्यवहार की घटनाएं बढ़ी हैं और कहा कि इससे इन संस्थाओं की छवि धूमिल होती है। उन्होंने कहा कि विधान मंडलों की विश्वसनीयता उनके सदस्यों की भूमिका और आचरण से जुड़ी होती है और इसलिए उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विधान मंडल के अंदर और बाहर शालीनता के उच्चतम मानदंडों का पालन करें।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ अब समय आ गया है कि व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से जनप्रतिनिधि के आचरण के मानदंडों के बारे में विचार और मंथन हो।’’ इस सम्मेलन में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों ने भी भाग लिया। बिरला ने कहा कि इस विषय पर वर्ष 1992, 1997 और 2001 में अलग-अलग सम्मेलन आयोजित किए गए थे और उन सम्मेलनों में लिए गए संकल्पों एवं निर्णयों के क्रियान्वयन के संबंध में पीठासीन अधिकारियों, सभी दलों के नेताओं और सचेतकों द्वारा सामूहिक और समन्वित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आगामी 4-5 दिसम्बर, 2021 को लोक लेखा समिति का शताब्दी वर्ष समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, 81वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को अंतर संसदीय संघ (आईपीयू) के अध्यक्ष डुआर्टे पाचेको, ऑस्ट्रिया की राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष वोल्फगैंग सोबोटका, गुयाना की संसद के अध्यक्ष मंजूर नादिर ने भी संबोधित किया।
इसमें मालदीव के पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद, मंगोलिया के स्टेट ग्रेट हुरल के अध्यक्ष गोम्बोजाविन ज़ंदनशतर, नामीबिया की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष प्रो. पीटर काटजाविवी, श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अबेवर्धना, ज़िम्बाब्वे की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष जैकब फ्रांसिस मुडेंडा, मॉरीशस की संसद के उपाध्यक्ष नाज़ुरली मोहम्मद जाहिद ने भी अपने विचार साझा किए।

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