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विशेषज्ञों का मानना ओमिक्रॉन कम गंभीर जरूर दिखता है, मगर इसे हल्के में न लें

भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शनिवार को चेताते हुए कहा कि कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हल्के में लेते हुए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी

भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शनिवार को चेताते हुए कहा कि कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हल्के में लेते हुए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी और अत्यधिक तेजी से फैलने वाले इस स्ट्रेन को हल्के में नहीं लेना चाहिए।  भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों की यह चेतावनी ऐसे समय पर सामने आई है, जब हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के एक नए अध्ययन (स्टडी) से पता चला है कि ओमिक्रॉन बिना टीकाकरण वाले लोगों के लिए भी कम गंभीर है। 
विशेषज्ञों के अनुसार, बेशक ओमिक्रॉन वैरिएंट को कम गंभीर माना जा रहा हो, मगर लोगों को एहतियाती उपाय करना बंद नहीं करना चाहिए और कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ ही टीका भी लगवाना चाहिए।  गुरुग्राम स्थित नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट (इंटरनल मेडिसिन) तुषार तायल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या यह वैरिएंट बिना टीकाकरण वाले लोगों के लिए भी कम गंभीर है या नहीं। हम निश्चित रूप से टीकाकरण वाले लोगों में लक्षणों की गंभीरता कम देख रहे हैं, इसलिए टीका लगवाना बेहद जरूरी है। 
तायल ने कहा, अधिकांश लोग हल्के लक्षणों का सामना कर रहे हैं या स्पशरेन्मुख (बिना लक्षण के) हैं, लेकिन हम अभी भी इस वैरिएंट के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को नहीं जानते हैं, इसलिए मैं सभी से सावधानी बरतने और ओमिक्रॉन को हल्के में नहीं लेने का आग्रह करूंगा।  देश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीकी अध्ययन से पता चलता है कि बिना टीकाकरण वाले लोग, जो अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित थे, उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम देखी गई है। 
इसके अलावा स्टडी में पिछले वैरिएंट के मुकाबले नए वैरिएंट से संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता या उनकी मृत्यु होने की संभावना भी कम बताई गई है। यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है, जब ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत सहित दुनिया भर में जंगल की आग की तरह फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका ने चौथी लहर देखी गई है, जो अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।  तायल ने कहा, जहां तक यह प्रश्न है कि इस वैरिएंट से भारत में तीसरी लहर की स्थिति बन रही है या नहीं, तो मैं कहना चाहूंगा कि पिछले दो हफ्तों में मामलों की वृद्धि के साथ, हम अब इसे (तीसरी लहर) देख रहे हैं। 
उन्होंने कहा, लेकिन पिछली लहर की तुलना में, हम अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम देख रहे हैं। नई दिल्ली स्थित धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनरी कंसल्टेंट, नवनीत सूद ने कहा कि अगर हमने पर्याप्त सावधानी नहीं बरती तो हम निश्चित रूप से तीसरी लहर को आमंत्रित करेंगे। सूद ने आईएएनएस से कहा, दक्षिण अफ्रीका के डेटा, जो स्ट्रैन के कारण पनपे बड़े प्रकोप का पहला देश है, ने अब तक अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर को कम दर्ज किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग लापरवाह हो जाएं। उन्होंने कहा, मास्क बहुत जरूरी है। सभी को कोविड-19 प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन करना चाहिए। 
दक्षिण अफ्रीकी अध्ययन ने पहली तीन कोविड-19 लहरों के 11,609 रोगियों की तुलना नई ओमिक्रॉन-संचालित लहर के दौरान संक्रमित हुए 5,144 रोगियों के साथ की। शोधकतार्ओं ने पाया कि चौथी ओमिक्रॉन लहर के दौरान कोविड पॉजिटिव होने के 14 दिनों के भीतर आठ प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो गई या उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि पहली तीन कोविड लहरों में यह आंकड़ा 16.5 प्रतिशत दर्ज किया गया। वहीं अगर भारत की बात करें तो पांच प्रतिशत की दैनिक वृद्धि के साथ, भारत में अब तक ओमिक्रॉन के 6,041 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। 

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