आज का दिन भारत की वीरता का परिचायक है, क्योंकि आज से ठीक 50 साल पहले भारत के वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम के दम पर पाकिस्तान को धूल चटाई थी। 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हर देशवासी के मन को उमंग से भर देती है। विजय दिवस वीरता और शौर्य की मिसाल है।
16 दिसंबर का दिन देश के जवानों की वीरता, शौर्य, अदम्य साहस और कुर्बानी की कहानी को बयां करता है। बता दें कि विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के कारण मनाया जाता है। इस युद्ध के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर जीत का जश्न मानाया था।
जिसपर संसद के दोनों सदनों ने 50वें ‘विजय दिवस’ के मौके पर बृहस्पतिवार को भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम की सराहना की तथा शहीदों को नमन किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के जवानों की वीरता और दृढ़ता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।
निचले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर जीत के 50 वर्ष पूरे होने पर सैनिकों के शौर्य और पराक्रम की सराहना की और सदन की ओर से उन्हें नमन किया। बिरला ने कहा, ‘‘आज देश स्वर्णिम विजय पर्व मना रहा है और इस अवसर पर हम बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों के साहस का भी स्मरण करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस अवसर पर हम जल-थल और वायु सेना के जवानों की वीरता को नमन करते हैं।’’
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘उनकी (सैनिकों की) वीरता और दृढ़ता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।’’ उन्होंने सदन की ओर से बांग्लादेश की जनता को भी बधाई दी ।राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के जवानों ने 1971 में जिस अदम्य साहस का परिचय दिया उसे देश आज गर्व के साथ याद करता है। उन्होंने कहा कि भारत के बांग्लादेश के साथ ही बहुत ही मित्रवत संबंध हैं और देश आगे भी इन अच्छे रिश्तों को और मजबूत करने का इरादा रखता है।