पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज यानी 25 दिसंबर को 98 वीं जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी कैबिनेट ने आज श्री वाजपेयी के समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है। पं. वाजपेयी एक राजनेता के अलावा एक कवि भी थे, हर साल इस दिन को भारत में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब वह संसद में बोलते थे तो विरोधी भी शांतिपूर्ण तरीके से उन्हें सुनते थे। 31 मई 1996 को संसद में दिया गया उनका भाषण हमेशा याद किया जाता है सरकारें आएंगी-जाएंगी मगर ये देश और उसका लोकतंत्र रहना चाहिए।
संसद का सबसे यादगार भाषण
संसद में विश्वास प्रस्ताव के दौरान अटल जी ने कहा था, “देश आज संकटों से घिरा हुआ है और ये संकट हमने पैदा नहीं किए हैं। जब-जब कभी आवश्यकता पड़ी, संकटों के निराकरण में हमने उस समय के सरकार की मदद की है। सत्ता का खेल तो चलता रहेगा, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।” अटल जी ने नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल की यादों को भी सदन के सामने रखा था।
1999-2004 तक चलाई सरकार
1996 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान श्री अटल जी ने कहा था, “यदि मैं पार्टी तोड़ू और सत्ता में आने के लिए नए गठबंधन बनाऊं तो मैं उस सत्ता को छूना भी पसंद नहीं करूंगा।” 1996 में अटल जी को सिर्फ 13 दिन की सरकार चलाने का मौका मिला था। 1998 में एक बार फिर से अटल जी की सरकार 13 महीने में गिर गई थी। 1999 में हुए चुनाव में देश की जनता ने एक बार फिर से अटल जी पर भरोसा जताया और इस बार उन्होंने पूरे पांच साल तक सरकार चलाई थी।
संसद का सबसे यादगार भाषण
संसद में विश्वास प्रस्ताव के दौरान अटल जी ने कहा था, “देश आज संकटों से घिरा हुआ है और ये संकट हमने पैदा नहीं किए हैं। जब-जब कभी आवश्यकता पड़ी, संकटों के निराकरण में हमने उस समय के सरकार की मदद की है। सत्ता का खेल तो चलता रहेगा, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।” अटल जी ने नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल की यादों को भी सदन के सामने रखा था।
1999-2004 तक चलाई सरकार
1996 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान श्री अटल जी ने कहा था, “यदि मैं पार्टी तोड़ू और सत्ता में आने के लिए नए गठबंधन बनाऊं तो मैं उस सत्ता को छूना भी पसंद नहीं करूंगा।” 1996 में अटल जी को सिर्फ 13 दिन की सरकार चलाने का मौका मिला था। 1998 में एक बार फिर से अटल जी की सरकार 13 महीने में गिर गई थी। 1999 में हुए चुनाव में देश की जनता ने एक बार फिर से अटल जी पर भरोसा जताया और इस बार उन्होंने पूरे पांच साल तक सरकार चलाई थी।