सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा शुक्रवार को आखिरी बार बेंच पर बैठीं, क्योंकि यह उनके कार्यकाल का आखिरी दिन रहा। वह पहली महिला अधिवक्ता हैं, जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया है। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने मल्होत्रा की जमकर सराहना की और कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या जस्टिस मल्होत्रा से बेहतर न्यायाधीश कोई है? न्यायमूर्ति मल्होत्रा अदालत में अपने अंतिम दिन भावुक हो गई। उन्होंने नम आंखों के साथ बार सदस्यों को धन्यवाद दिया। मैं अत्यंत क्षमता के साथ सिस्टम में योगदान देने की बड़ी संतुष्टि के साथ रिटायर हो रही हूं।
न्यायमूर्ति मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की 2 महिला जजों में से एक हैं। इससे पहले एक वरिष्ठ अधिवक्ता रहीं, न्यायमूर्ति मल्होत्रा 27 अप्रैल, 2018 को पीठ में शामिल हुईं थीं। कल (शनिवार) से न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र महिला न्यायाधीश रह जाएंगी। प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि उन्होंने उनसे बेहतर जज नहीं देखा है और वह भावुक होते हुए उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं।
इस मौके पर अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि वह सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं। यह दुखद है कि न्यायाधीश को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होना पड़ता है। हमें खेद है कि बार के सदस्यों के रूप में न्यायमूर्ति मल्होत्रा को सेवानिवृत्त होना पड़ेगा। सबरीमला मामले में उन्होंने संवैधानिक नैतिकता पर अहम फैसला दिया। न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने उनके योगदान को स्वीकार करने के लिए साथी न्यायाधीशों का आभार व्यक्त किया।
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष की जानी चाहिए। सिंह ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को एक महिला न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद बनने वाली रिक्ति को भरने के लिए कदम उठाना चाहिए। इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि न्यायमूर्ति मल्होत्रा युवा अधिवक्ताओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। उन्होंने कहा कि उनके निर्णय ज्ञान, दूरदर्शिता और दृणता से भरे हुए हैं। वहीं न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय की बेंच पर सेवा करने को लेकर अपना आपको बहुत धन्य समझती हैं।