दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने जनता को संबोधित करते हुए वीर बाल दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को कहा अगर भारत को सफलता की उंचाईयों पर लेकर जाना है तो अतीत के संकुचित नजरिये से भी मुक्त होना होगा। इसके बाद उन्होंने कहा कि सिख गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को याद करते हुए कि साहिबजादों के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा, उनके इतने बड़े त्याग और शौर्यगाथा को इतिहास में भुला दिया गया था। लेकिन अब पुरानी भूल को सुधारने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वह गढ़े हुए विमर्श बताएं और पढ़ाए जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीन भावना पैदा हो। बावजूद इसके हमारे समाज और हमारी परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जीवंत रखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखर पर ले जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना पड़ेगा। इसलिए, आजादी के ‘अमृतकाल’ में देश ने ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ का प्राण फूंका है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा के लिए मोड़ देता है और इसी संकल्प शक्ति के साथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है।
पीएम मोदी ने क्या घोषणा की
मोदी ने कहा कि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के विचार का भी प्रेरणापुंज है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने लगभग 300 बच्चों द्वारा किए गए शबद कीर्तन में भाग लिया।
केंद्र सरकार ने इसी वर्ष नौ जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के दिन गुरु गोबिंद सिंह के बेटों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की याद में 26 दिसंबर को ‘‘वीर बाल दिवस’’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।