पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने फिलहाल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावना को सर्वसम्मति बनने तक खारिज कर दिया है। कुरैशी ने कहा कि तब तक अलग-अलग चुनाव कराने की मौजूदा प्रणाली पर चलना ही बेहतर है।
कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने या अलग-अलग चुनाव कराने के अपने अपने फायदे हैं।
उन्होंने कहा कि साजो-सामान के लिहाज से देखें तो एक साथ चुनाव कराना सबसे अधिक सुविधाजनक है क्योंकि मतदाता, मतदान केंद्र के साथ-साथ चुनाव कर्मी और सुरक्षाकर्मी भी समान रह सकते हैं। कुरैशी ने कहा कि अलग-अलग चुनाव की भी विशेषता है कि ऐसे चुनावों में नेताओं की जवाबदेही तय होती है।
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उन्होंने कहा कि अगर साथ में चुनाव होते हैं तो जनप्रतिनिधि पांच साल बाद ही अपना चेहरा दिखाएगा जब अगले चुनाव होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों को जोड़ा नहीं जाना चाहिए क्योंकि वे अपने-अपने हिसाब से महत्वपूर्ण होते हैं।
इसलिए उन्होंने कहा कि खासकर संघीय ढांचे में अलग-अलग चुनाव उपयोगी माने जाते हैं। अगले साल एक साथ चुनाव कराने की संभावना के सवाल पर कुरैशी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह मुश्किल होगा क्योंकि कोई सर्वसम्मति नहीं बनी है और हम इस पर अभी बहस कर रहे हैं। अगर आम-सहमति बन जाती है तो अच्छी बात होगी।’’
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो मौजूदा चुनाव प्रक्रिया को क्यों बिगाड़ा जाए।