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शिरोमणि कमेटी द्वारा जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन के अधिकारों को दी खुली चुनौती

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लुधियाना-पटियाला : अक्तूबर 2015 के दौरान पंजाब में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की घटनाओं के बाद पैदा हुए हालात के चलते पुलिस द्वारा चलाई गई गोली के कारण 2 सिख नौजवानों की मौत के कारणों की तह तक जाने में जुटी जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन द्वारा शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान को सम्मन भेजे जाने के बाद शिरोमणि कमेटी की आंतरिक कमेटी ने विरामचिन्ह लगाते हुए स्पष्ट किया है कि वह जस्टिस कमीशन द्वारा भेजे गए नोटिसों को रदद करती है।

कमेटी के प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने जस्टिस कमीशन द्वारा भेजे गए नोटिसों की निंदा करते हुए इसे एसजीपीसी की मानमर्यादा के खिलाफ खुला चैलेंज करार दिया। प्रो. बडूंगर ने यह भी कहा कि अधिकारों का दुरूप्रयोग करना बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने कहा कि जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन की तरफ से पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार की शह पर की गई कार्यवाही सिख संस्थाओं की मान-मर्यादा के खिलाफ है। इसलिए आंतरिक कमेटी इस कमीशन की मान्यता को ही सिरे से रदद करती है। उन्होंने कहा कि सिख कौम के विरूद्ध समय-समय पर कांग्रेस ऐसी घिनौनी हरकतें करती रही है।

उधर श्री अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिबान जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने भी साफ तौर पर कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब को सम्मन जारी करने का दुनिया की किसी भी अदालत को अधिकार नहीं है। उन्होंने यह कहा कि अकाल तख्त साहिब का रिकार्ड सिर्फ शिरोमणि कमेटी की धर्म प्रचार कमेटी देख सकती है। ना तो श्री अकाल तख्त किसी एक्ट के अधीन है और ना ही किसी अदालत के अधीन। जिक्रयोग है कि पिछले दिनों जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन ने श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय को पत्र लिखकर डेरा सिरसा प्रमुख को माफी देने और फिर माफी रदद करने के बारे में रिकार्ड पेश करने के लिए कहा था।

जबकि शिरोमणि कमेटी काफी देर से हाशिए की तरफ धकेेले गए डेरा प्रमुख मामले पर श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अपमान और सिखों की शहादत के धब्बों से स्वयं को पाक दामन साफ सिद्ध करने में जुटी हुई है। जबकि सच्चाई यह है कि 24 सितंबर 2015 को ज्ञानी गुरबचन सिंह की रहनुमाई में 5 जत्थेदारों द्वारा हरियाणा स्थित डेरा सिरसा के प्रमुख को माफी दी गई थी। फिलहाल एसजीपीसी के अधिकारियों का एक विशेष समूह चंडीगढ़ में वरिष्ठ वकीलों के साथ सलाह-मशविरा करके रंजीत सिंह कमीशन को चुनौती देने के मूड़ में दिखाई दे रहा है। तर्क यह दिया जा रहा है चूंकि यह चुनी हुई संस्था होने के शिरोमणि कमेटी सीधे तौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है और इसको सूबा सरकार द्वारा गठित कोई भी कमीशन तलब करने या जवाबदेही का अधिकार नहीं रखता।

– सुनीलराय कामरेड

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