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वोट-बैंक की राजनीति के कारण विकास के बजाय विभाजन का रास्ता पकड़ा है विपक्ष ने : PM मोदी

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि वे वोट बैंक की राजनीति के कारण विकास के बजाय विभाजन के रास्ते को पकड़ते हैं जिससे देश को निश्चित तौर पर हानि होती है।

 संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि वे वोट बैंक की राजनीति के कारण विकास के बजाय विभाजन के रास्ते को पकड़ते हैं जिससे देश को निश्चित तौर पर हानि होती है। 

राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दे रहे मोदी ने कहा कि एनपीआर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार लेकर आयी थी। किंतु आज वह इसे लेकर विरोध कर रही है और इसके नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। 

मोदी ने एनपीआर को उचित ठहराते हुये कहा कि इससे सही लाभार्थियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने इसका विरोध कर रहे विपक्ष को आगाह किया कि वे संकुचित और भ्रामक विमर्श के कारण (एनपीआर का) विरोध कर रहे हैं। 

उन्होंने किसी विपक्षी दल का नाम लिये बिना कहा, ‘‘तुष्टीकरण का सवाल हो तो आप डंके की चोट पर विभाजन का रास्ता पकड़ते हैं। ऐसे अवसरवादी विरोध से किसी भी दल को लाभ या हानि तो हो सकती है लेकिन इससे देश को निश्चित रूप से हानि होती है। देश में अविश्वास की स्थिति बनती है।’’ 

मोदी ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा, ‘‘मेरा आग्रह रहेगा कि हम सच्चाई और सही तथ्य को जनता के बीच ले जाएं। इस दशक में दुनिया की भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं। इन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए हम सभी के प्रयास 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अनुरूप होने चाहिए।’’ 

प्रधानमंत्री के जवाब के बाद उससे असंतोष जताते हुए कांग्रेस, राकांपा और द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। 

नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद द्वारा चर्चा में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने का विरोध किये जाने की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि सरकार ने बिना चर्चा के अनुच्छेद 370 को समाप्त किया है। उन्होंने कहा कि इस पर संसद में व्यापक और गहन चर्चा की गयी। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश ने टेलीविजन पर देखा था कि किस तरह धरने और प्रदर्शन के बीच उच्च सदन के दरवाजे बंद करके आंध्र प्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना राज्य बनाने का कानून बनाया गया था। उन्होंने कहा कि यह सवाल उठाया जा सकता है कि यदि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य के लोगों से पहले से व्यापक चर्चा की गयी होती तो संसद में उसका इतना विरोध नहीं होता। 

उन्होंने इस संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में तीन राज्यों..झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के गठन का काम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न किये जाने का भी उदाहरण दिया। 

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हुए विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वहां बीडीसी के चुनाव हुए और रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण अधिनियम) कानून भी लागू हुआ। पहली बार जम्मू कश्मीर को समग्र स्टार्ट अप, व्यापार और लॉजिस्टिक नीति मिली। पहली बार वहां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्थापना की गई।’’ 

मोदी ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में 18 महीनों में 3.30 लाख घरों को बिजली के कनेक्शन मिले, 3.5 लाख से ज्यादा लोगों को आयुष्मान योजना के तहत गोल्ड कार्ड मिले और 1.5 लाख बुजुर्गों, दिव्यांगों को पेंशन मिली।’’ 

उन्होंने चर्चा में एमडीएमके के वाइको की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा ‘‘जम्मू कश्मीर के लिये पांच अगस्त 2019 का दिन काला दिन नहीं था बल्कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वालों के लिये यह दिन काला दिन साबित हुआ है ।’’ वाइको ने चर्चा में पांच अगस्त 2019 को काला दिन बताया था। 

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान पांच अगस्त 2019 को हटाते हुए सरकार ने राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। 

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