संसद के म़ॉनसून सत्र में विपक्षी दलों ने लगातार कार्यवाही में अड़ंगा डाला है और दोनों सदनों को बार-बार बाधित करने की पुरजोर कोशिश की है। तो वहीं, केंद्र की मोदी सरकार पेगासस जासूसी कांड और किसानों के मुद्दों पर संसद में खुलकर चर्चा नहीं कर रही है, जिससे विपक्षी दलों को सरकार की टांग खिचने का पूरा मौका मिल रहा है।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की अगुवाई में कुछ विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से शनिवार को मुलाकात की और अनुरोध किया कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन के दौरान किसानों की मौत के विषय पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन के लिए और संसद में पेगासस जासूसी मामले तथा किसानों से जुड़े मुद्दे पर संसद में चर्चा करवाने के लिए वह हस्तक्षेप करें।
शिअद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपा, जिसमें उनसे इन मामलों में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, इस पत्र पर कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर नहीं किए।
शिअद, शिवसेना, राकांपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भाकपा और माकपा ने पत्र में राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मृत्यु के मामलों की पुष्टि के लिए जेपीसी का गठन करने तथा किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद में चर्चा करवाने के लिए हस्तक्षेप करें।
कोविंद से मुलाकात करने वालों में राकांपा के महमूद फजल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, बसपा के रितेश पांडेय और शिअद के बलविंदर सिंह भुंडर शामिल रहे। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से समूचा विपक्ष सरकार से जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर संसद में बोलने की अनुमति प्रदान करने की मांग कर रहा है।
बादल ने कहा कि उन्होंने खुद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस से राष्ट्रपति के साथ बैठक के दौरान साथ रहने का अनुरोध किया था, ”लेकिन, दुर्भाग्यवश, ये आपके सामने है कि कोई यहां नहीं पहुंचा। हमने राष्ट्रपति से समय मांगा था।” उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल किसानों के मुद्दे और पेगासस जासूसी प्रकरण पर संसद में स्थगन प्रस्ताव दे रहे हैं और आरोप लगाया कि यह सरकार का कर्तव्य है कि सदन चले लेकिन वह विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ” हम यहां राष्ट्रपति को यह सूचित करने आए हैं कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराएं खतरे में हैं और संसद के भीतर सांसदों की आवाज दबायी जा रही है। यह लोकतंत्र के लिए बड़ी क्षति है।” उन्होंने कहा, ” हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह सरकार पर दबाव बनाएं और विपक्षी दलों द्वारा जनता से जुड़े मुद्दे सदन में उठाने की अनुमति देने के साथ ही संसद का संचालन होने दें।”
हरसिमरत ने कहा कि किसान पिछले एक साल से सड़कों पर बैठे हैं और वे आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं तथा 500 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब कृषि मंत्री यह कहते हैं कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसी किसान की मौत नहीं हुई तो इससे किसानों का गुस्सा और बढ़ जाता है।
शिअद नेता ने कहा कि सरकार कहती है कि ये केवल एक राज्य से जुड़ा मुद्दा है लेकिन विभिन्न राज्यों के सांसद यहां आए हैं। उन्होंने कहा, ” प्रदर्शन कर रहे किसानों की समस्या का समाधान निकालने के लिए हमने राष्ट्रपति से एक संयुक्त प्रवर समिति गठित करने की भी अपील की है जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसद शामिल हों।” वहीं, मसूदी ने कहा, ” हमने राष्ट्रपति से जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने का भी अनुरोध किया।”