राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने सदन में पिछले कुछ दिनों से देर शाम तक कामकाज चलाये जाने के सरकार के रवैये का विरोध करते हुये बुधवार को कहा कि लगातार एक के बाद एक विधेयक जल्दबाजी में पारित कराना उ़चित नहीं है।
उपसभापति हरिवंश ने मोटरयान (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान शाम 6 बजे जब कामकाज का समय बढ़ने के लिए सदन की राय जाननी चाही तो विपक्षी सदस्यों ने समय नहीं बढ़ने का अनुरोध किया। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुरलीधरन ने कहा कि सदन को विधेयक पारित करना चाहिए। राज्यसभा के कामकाज का सामान्य समय सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक है।
कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि सदन में लगातार देर शाम तक कामकाज हो रहा है। सरकार लगातार विधेयक पारित कराये जा रही है। एक के बाद एक विधेयक पारित कराया जा रहा है। प्रत्येक विधेयक जरुरी है और जनता को प्रभावित करता है। एक बार कानून बन जाने के बाद संसद का इस पर नियंत्रण नहीं रहता है।
इसलिए इस मामले में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद को फैक्ट्री की तरह नहीं चलाया जा सकता है।
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भी समय बढाने का विरोध करते हुए कहा कि सदस्य सुबह नौ बजे आ जाते हैं और रात नौ बजे तक बैठते हैं। सभी में इतनी क्षमता नहीं है। इससे सदस्य बीमार पड़ सकते हैं।
इस बीच सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने कहा कि यह जरुरी विधेयक है और यदि सदस्य सहमत हो तो चर्चा के समय में कटौती की जा सकती है। इसका शिरोमणि अकाली दल के सतीश गुजराल ने कड़ विरोध किया और कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों बड़ी पार्टियां हमेशा ऐसा ही करती हैं।
चर्चा के दौरान अपने विचार रखने के लिए छोटे दलों का नंबर बाद में आता है और जल्दी काम निपटाने के लिए उनके समय में कटौती कर दी जाती है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के टी के रंगराजन ने उनकी बात का समर्थन किया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पिछले 30 दिन से सरकार के साथ विपक्ष लगातार सहयोग कर रहा है और बिना जांच पड़ताल के विधेयक पारित कराना पाप है।
श्री मुरलीधरन ने कहा कि संसद कानून बनाने के लिए है और विधेयक पारित कराना पाप नहीं है। श्री हरिवंश ने कहा कि सभापति ने पहले कह चुके हैं कि यह विधेयक पारित कराया जाना है। इसके बाद उन्होंने चर्चा आगे बढ़ने के लिए अगले सदस्य का नाम पुकारा और कार्यवाही आगे बढ़ी।