मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है।
क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते?
भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है।
मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर” pic.twitter.com/fxgBre38Ft— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 19, 2022
आरजेडी नेता और बिहार के विधायक दल के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इसपर सवाल खड़े करते हुए हमला बोला। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?
The Army, in an affidavit filed before the SC in 2013, has made it clear that it does not recruit on the basis of caste, region and religion. It however justified grouping of people coming from a region in a regiment for administrative convenience and operational requirements… https://t.co/kYLZcC8THO
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 19, 2022
उन्होंने कहा कि हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की इस सनक का मतलब है कि संजय सिंह जैसे लोग हर दिन मुंह में पैर रखते हैं। सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद, इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने कुछ नहीं बदला।