विपक्ष के 11 मुख्य राजनीतिक दलों ने सरकार पर संसद में चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का गुरुवार को आरोप लगाया और दावा किया कि राज्यसभा में कुछ महिला सदस्यों समेत कई सांसदों से धक्कामुक्की ऐसे लोगों ने की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं थे।
विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में सरकार के ‘अधिनायकवादी रुख’ और ‘अलोकतांत्रिक कदमों’ की निंदा की और कहा कि राज्यसभा जो कुछ हुआ वह हैरान करने वाला तथा सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान है। उन्होंने सरकार पर चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया और कहा कि वह पेगासस मामले पर चर्चा करने से भाग रही है।
संयुक्त बयान पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिाकर्जुन खड़गे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू समेत 11 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा में बुधवार को जो हुआ वह हैरान करने वाला, अप्रत्याशित, दुखद और सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान था…इस सरकार ने संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया है।’’
विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है। इससे पहले, विपक्षी नेताओं की खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक करने के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं। बैनर पर ‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं’ लिखा हुआ था। विपक्षी नेताओं ने ‘जासूसी बंद करो’, ‘काले कानून वापस लो’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे भी लगा।