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विपक्ष ने बजट को वास्तविक धरातल से बताया दूर, भाजपा बोली – गांव, गरीब, किसान, महिलाओं को समर्पित है बजट

ब्रजभूषण शरण सिंह ने कहा कि आयुष्मान योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, किसान सम्मान योजना, मातृ वंदना योजना से करोड़ों लोगों की जिंदगी पर फर्क पड़ा है… विपक्ष को फर्क पड़ा हो या नहीं ।

नयी दिल्ली : कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने 2020-21 के आम बजट को वास्तविकता के धरातल से दूर करार देते हुए सोमवार को कहा कि बजट में आर्थिक मंदी एवं बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई रूपरेखा पेश नहीं की गई है। भाजपा ने बजट को ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ के आधार पर गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, कमजोर वर्गों को समर्पित करार दिया और कहा कि यह अर्थव्यवस्था को मजबूती देने तथा रोजगार के अवसर सृजित करने वाला है जिसमें सभी वर्गों की आशा, आकांक्षा का ध्यान रखा गया है । 
लोकसभा में वर्ष 2020-21 के बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की परनीत कौर ने कहा, ‘‘यह बजट निराशाजनक है और इसमें मनरेगा जैसी योजनाओं के लिए आवंटन में कटौती की गई है।’’ उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी की समस्या और पंजाब की भी अनदेखी की गई है। कौर ने कहा कि मनरेगा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता ने बजट को वास्तविकता के धरातल से दूर करार दिया । 
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘‘ 32 वर्ष तक मिली-जुली सरकारों के दौर के बाद 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार आई। मोदी सरकार ने लोगों की आशा, आकांक्षा को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध पहल की और इसके परिणामस्वरूप दोबारा बड़े बहुमत से जनादेश मिला।’’ उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ लोगों और दलों को यह अच्छा नहीं लगता, उन्हें सरकार की कल्याण योजनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता और वे सिर्फ आलोचना करने में लगे रहते हैं। 
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा कि आयुष्मान योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, किसान सम्मान योजना, मातृ वंदना योजना से करोड़ों लोगों की जिंदगी पर फर्क पड़ा है… विपक्ष को फर्क पड़ा हो या नहीं । उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल कर रही है और बजट में इस दिशा में रूपरेखा तय की गई है। बेरोजगारी की समस्या एक दिन में नहीं आई है और सरकार इसका भी हल निकालने को प्रयासरत है । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि ढाई घंटे से अधिक समय तक पढ़ा गया बजट वास्तविकता से परे है। 
उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार सिर्फ सपने दिखा रही है, लेकिन यह नहीं बता पा रही है कि ये सपने पूरे कैसे होंगे। इस बजट में मंदी और बेरोजगारी से निपटने की कोई रूपरेखा पेश नहीं की गई है। ’’ सुप्रिया ने कहा कि केंद्र सरकार को पीएमसी बैंक के मामले से खाताधारकों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की मदद करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से जीएसटी मुआवजे के तहत महाराष्ट्र का बकाया देने की भी मांग की। द्रमुक के दयानिधि मारन ने कहा कि बचत हमारी परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है लेकिन सरकार बचत को हतोत्साहित कर रही है। कर वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है कि लोगों को समझने में ही कठिनाई हो रही है । उन्होंने कहा कि यह सरकार एयर इंडिया, एलआईसी, बीएसएनएल जैसे निकायों का विनिवेश करने और बेचने में लगी है । 
द्रमुक सदस्य ने पूछा कि जब आधार का व्यापक डाटा है तब सरकार क्यों एनपीआर लाना चाहती है । बसपा के गिरीश चंद्र ने बजट को ‘किसान, युवा और दलित विरोधी’ करार दिया और दावा किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आवंटन में कटौती की गई है। नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, लेकिन इससे लोगों की राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल करनी चाहिए। 
भाजपा के नंद कुमार चौहान ने कहा कि मोदी सरकार गांव, गरीब, किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कल्याण एवं उनके सशक्तीकरण को प्रतिबद्ध है। सरकार ने देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की प्रतिबद्ध पहल की है । इस बजट में देश के मजबूत विकास का खाका पेश किया गया है । भाजपा की अपराजिता सारंगी ने कहा कि इस बजट में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आम लोगों के विकास का रास्ता तैयार किया गया है। जदयू के रामप्रीत मंडल और आलोक कुमार सुमन ने कहा कि इस बजट में बिहार के हितों को ध्यान में रखा गया है और इससे राज्य की प्रगति को गति मिलेगी। शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने आरोप लगाया कि इस बजट में महाराष्ट्र सरकार की उपेक्षा की गई है। 

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