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TMC सांसद शांतनु सेन के निलंबन और पेगासस विवाद पर विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा हुई स्थगित

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन के निलंबन और पेगासस जासूसी विवाद के मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही 3 बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन के निलंबन और पेगासस जासूसी विवाद के मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण शुक्रवार को यानी आज राज्यसभा की कार्यवाही 3 बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सेन को सदन में कल उनके अशोभनीय आचरण के लिए राज्यसभा के मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद तृणमूल एवं अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण संसद में व्यवधान पैदा हुआ। लिहाजा 2 बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोपहर ढाई बजे जब कार्यवाही आरंभ हुई तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेगासस जासूसी विवाद का मुद्दा उठाना चाहा और कहा कि उन्होंने नेताओं, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी संबंधी आरोपों के बारे में एक नोटिस दिया है। पीठासीन सभापति भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि इस बारे में सरकार की तरफ से पहले ही बयान दिया जा चुका है। इसी बीच, राज्यसभा में उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस मुद्दे को उठाया जा चुका है ओर इस पर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री का बयान आ चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान किस तरह का व्यवहार विपक्ष के कुछ लोगों ने उनके साथ किया था यह देश ने देखा है। नकवी बोल ही रहे थे कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा प्रारंभ कर दिया। इसके तुरंत बाद ही कालिता ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों।
इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही दो दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई और फिर सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद अब तक केवल कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर चार घंटे की चर्चा हो पाई है और इसके अलावा कोई अन्य कामकाज हंगामे की वजह से नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की विभीषिका के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है और जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जानी है।
सभापति ने बृहस्पतिवार को सदन में हुए हंगामे और इस दौरान शांतनु सेन सहित अन्य विपक्षी नेताओं के आचरण का जिक्र किया और इसे अशोभनीय बताया। सभापति ने कहा कि कल जो कुछ हुआ, निश्चित रूप से उससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई। गौरतलब है कि सेन ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से ‘‘पैगासस विवाद’’ संबंधी बयान की प्रति छीन ली थी और उसके टुकड़े कर हवा में लहरा दी थी।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल की घटना को लेकर शांतनु सेन को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद नायडू ने सेन को सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने की घोषणा की। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध किया और उसके सदस्य शुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि मुरलीधरन ने अचानक से सेन के निलंबन का प्रस्ताव पेश कर दिया लेकिन सदन में आज की कार्यसूची में इसका कोई उल्लेख नहीं था। सभापति ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया।
कांग्रेस के सदस्य जयराम रमेश भी इस मुद्दे पर कुछ बोल रहे थे लेकिन हंगामे की वजह से उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। नायडू ने सेन को सदन से बाहर जाने को कहा लेकिन वह अपनी सीट पर बैठे रहे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सेन के निलंबन की घोषणा पर आपत्ति जताते हुए हंगामा तेज कर दिया। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और कामकाज चलने देने की अपील की। 
लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक को 11 बज कर करीब 25 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। नियमों के मुताबिक जब तक निलंबित सदस्य सदन से बाहर नहीं जाते तब तक सदन में कोई कामकाज नहीं हो सकता। जैसे ही दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, उपसभापति हरिवंश ने निलंबित सदस्य शांतनु सेन को यह कहते हुए सदन से बाहर जाने को कहा कि उनके निलंबन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कृपया आप सदन से बाहर चले जाएं।’’ इसी समय तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। लिहाजा, उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12.30 बजे तक स्थगित कर दी गई।
इसके बाद जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो सदन की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। सेन सदन में मौजूद थे। उपसभापति ने सेन से बार-बार आग्रह किया कि उनके खिलाफ निलंबन का प्रस्ताव मंजूर किया जा चुका है लिहाजा वह सदन से बाहर चले जाएं लेकिन वह अपनी सीट पर बैठे रहे। जब सेन सदन से बाहर नहीं गए तो उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, हंगामे के कारण सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सके।

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