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लोकसभा चुनाव में लोगों के समक्ष ‘मोदी या अराजकता’ में चुनने का विकल्प : अरुण जेटली

अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी विपक्षी दल सीटों की एक निश्चित संख्या पर जीत हासिल करने में सक्षम नहीं है और गठबंधन के पास कोई स्थिर केंद्र नहीं है।

आगामी लोकसभा चुनाव को अराजकता और नरेंद्र मोदी के बीच चुनाव करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि विपक्ष ने जिस महागठबंधन का वादा किया था, वह कई नेताओं वाले परस्पर विरोधी गठबंधनों में तब्दील हो गया है, जिसमें वे एक-दूसरे को मात देने का प्रयास कर रहे हैं।

जेटली ने कहा कि अतीत में देखें तो इस तरह के गठबंधन से केवल अराजकता ही होती आई है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ”चुनाव स्पष्ट है, मोदी या अराजकता।” वित्त मंत्री ने कहा कि चुनाव में कई मुद्दों ने एजेंडे में अपनी जगह बना ली है लेकिन 2019 में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा नेतृत्व का है, जहां पूर्ण स्पष्टता के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘प्रतिद्वंद्वियों के आत्म-विनाशकारी गठबंधन’ के खिलाफ एक विजेता के रूप में सामने आई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के गठबंधन में नेतृत्व का मुद्दा एक अबूझ पहेली है।

अरुण जेटली ने कहा, ”राजग के भीतर नेतृत्व का कोई मुद्दा नहीं है। इसमें पूर्ण स्पष्टता है। नरेंद्री मोदी राजग की अगुवाई कर रहे हैं और जीत हासिल करने के बाद वह प्रधानमंत्री बनेंगे। उनके नेतृत्व को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिली है, उनकी रेटिंग बहुत ऊंची है। उनका ट्रैक रिकॉर्ड खुद ब खुद इसे बयां करता है।”

modi

उन्होंने कहा, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं, ‘जो एक अपर्याप्त नेता हैं’ और ‘उन्हें आजमाया जा चुका है व वे विफल साबित हो चुके हैं। जेटली ने कहा, ”उनमें मुद्दों की समझ की कमी भयावह रूप में है। वे इस अराजकता भरे गठबंधन के नेता बनने की इच्छा रखते हैं।”

अरुण जेटली ने कहा कि ममता बनर्जी खुद को महागठबंधन की सूत्रधार के तौर पर पेश कर रही हैं लेकिन उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक भी सीट कांग्रेस या वाम दल को नहीं दी। वह चाहती हैं कि अगर वह वाहन चलाएं तो दोनों दल उनके पीछे बैठें। अन्य विपक्षी दलों के बारे में जेटली ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी लेकिन अंत में वे उससे हाथ मिला लेंगी और ऐसा ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल और कांग्रेस-वाम गठबंधन के साथ होगा।

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उन्होंने कहा, ”लेकिन, केरल में कांग्रेस और वाम मोर्चा एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू एवं कश्मीर में कांग्रेस के समर्थन से साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रयास किया था।”

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जेटली ने कहा, ”आज वे चुनाव में प्रतिद्वंद्वी हैं लेकिन ‘स्वायत्तता’ या ‘प्री-1953 स्टेटस’ के खतरनाक एजेंडे पर वे ‘गठबंधन’ के साथ हाथ मिला सकते हैं। बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) गठबंधन के साथ नहीं हैं।” जेटली ने कहा कि बसपा का पिछले लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था और मायावती ने अब अपनी रणनीति बदल दी है और वे एक मजबूत बसपा व एक कमजोर कांग्रेस चाहती हैं।

 उन्होंने कहा, ”उन्होंने अपने पत्ते छिपाए हुए हैं। वे नतीजों की घोषणा के बाद ही अपने पत्ते खोलेंगी..ऐसी ही लचीली विचारधारा के नेता सोचते हैं कि वे सभी को स्वीकार हैं। विपक्षी गठबंधन अस्पष्ट है..यह पूर्ण रूप से दुर्बल है।” अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी विपक्षी दल सीटों की एक निश्चित संख्या पर जीत हासिल करने में सक्षम नहीं है और गठबंधन के पास कोई स्थिर केंद्र नहीं है।

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उन्होंने कहा, ”महागठबंधन जिस का वादा किया गया था, वह कई परस्पर विरोधियों के गठबंधन में तब्दील हो गया है। यह प्रतिद्वंद्वियों का एक आत्म-विनाशकारी गठबंधन है।” जेटली ने कहा, ”यह चुनाव एक ऐसे नेता के खिलाफ है, जिसके हाथों में देश सुरक्षित व विकास कर रहा है। उसपर लोगों का भरोसा है। उनके खिलाफ कोई नेता सामने नहीं आया है। बहुत से नेता हैं, जो एक-दूसरे को मात देने में लगे हैं। अगर हम अतीत में जाएं तो वे केवल एक अस्थायी सरकार का वादा कर सकते हैं। इससे केवल अराजकता ही होगी। विकल्प स्पष्ट है, या तो मोदी या अराजकता।”

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