प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में बुद्धिजीवी एवं पढ़ लिखे तबकों के बीच एक माह पूर्व शुरू हुए एकेडेमिक्स फॉर नमो अभियान में देश के करीब 300 शिक्षण संस्थानों के लगभग 1500 प्रोफेसर, विचारक एवं बुद्धिजीवी शामिल हो गये हैं और विभिन्न प्रांतों, शहरों एवं कस्बों में मोदी सरकार के कार्यकाल में आये ऐतिहासिक परिवर्तन को अपने-अपने दृष्टिकोण से परिभाषित कर रहे हैं।
एकेडेमिक्स फॉर नमो अभियान पांच मार्च को राजधानी में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के करीब 30 प्रोफेसरों ने मिल कर शुरू किया था और उन्होंने बुद्धिजीवी तबकों में मोदी सरकार के मायने और मोदी सरकार के काम से आये बदलाव को लेकर गुणवत्ता पूर्ण बहस शुरू करने और इस वर्ग में उनकी स्वीकार्यता को बढ़ने के लिए शुरू किया था। इस अभियान से जुड़ दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रो। स्वदेश सिंह ने बताया कि इस अभियान को सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में फैलाया गया है और विचारों के समन्वय के मंच के रूप में एक वेबसाइट भी शुरू की गयी है।
डॉ. सिंह के अनुसार तीन विश्वविद्यालयों के 30 प्रोफसरों से शुरू हुआ यह नेटवर्क आज 300 से अधिक विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के 1500 से अधिक प्रोफेसरों तथा शिक्षाविदों को जोड़ चुका है।
डॉ. सिंह ने बताया कि 19 मार्च से 28 मार्च के बीच 35 वर्ष से कम आयु के बुद्धिजीवी युवाओं के लिए एक निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था जिसका विषय था कि ‘मोदी 2.0 आइडिया ऑफ न्यू इंडिया।’ इसमें मोदी सरकार की कोई एक अच्छी योजना के बारे में लिखना था। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में सैकड़ प्रविष्टियां आयीं और ये निबंध अत्यंत उच्चकोटि के हैं।
प्रतियोगिता के विजेताओं के चयन में कठिनाई आ रही है। उन्होंने कहा कि दो और तीन अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों में एकेडेमिक्स फॉर नमो अभियान से जुड़ लोगों ने लघु सभायें एवं बैठकें आयोजित कीं और मोदी के नये भारत के विचार एवं उसके क्रियान्वयन के रोडमैप पर चर्चा की। श्री सिंह के अनुसार इस पहल को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व काफी उत्साहित है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मार्च को इसे अपने ट्विटर हैंडल पर प्रचारित किया है। इससे ट्विटर पर दो दिन यह टॉप तीन में ट्रेंड करता रहा। डॉ. सिंह के अनुसार अगले चरण में इसे छात्रावासों में भी ले जाने की योजना है।