केंद्र द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की गलती की सजा पूरे संगठन को बैन करके नहीं दी जा सकती। दरअसल, सरकार ने आईएसआईएस से लिंक कट्टरवाद को बढ़ावा देने के चलते PFI और उसके सहयोगी विभिन्न सगठनों को बैन कर दिया है।
केंद्र के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने सवाल किया कि, पीएफआई पर बैन लगाया गया लेकिन खाजा अजमेरी बम धमाकों के दोषियों से जुड़े संगठन नहीं बैन हुए। ऐसा क्यों? सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?
उन्होंने कहा, मैंने हमेशा से पीएफआई की विचारधारा का विरोध और लोकतांत्रिक रवैये का समर्थन किया है। लेकिन पीएफआई पर बैन का मैं समर्थन नहीं करता। कुछ लोगों के अपराध का यह मतलब नहीं है कि पूरी ऑर्गनाइजेशन को बैन कर दिया जाए।We should remember that Congress amended UAPA to make it stringent & when BJP amended the law to make it even more draconian, Congress supported it
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 28, 2022
This case will follow timeline of Kappan, where any activist or journalist is randomly arrested & takes 2 years to even get bail
ओवैसी ने कहा, इस तरह का बैन खतरनाक है। ये हर उस मुसलमान पर बैन है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। उन्होंने आगे कहा, भारत के काले कानून, यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पैम्फलेट के साथ गिरफ्तार किया जाएगा। और जमानत पाने में भी 2 साल लग जाएंगे।
भारत को आतंक मुक्त बनाने के लिए PFI को हटाना जरूरी : VHP
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने PFI को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 5 साल के लिए बैन कर दिया है। पीएफआई के अलावा उसके कई सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार के इस फैसले को जहां ज़ोरदार समर्थन मिल रहा है, वहीं इसके खिलाफ कई आवाजें भी मुखर हो रही हैं।