केंद्र ने बुधवार को कहा कि चार राज्यों-केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में 12 स्थानों पर एवियन इन्फ्लुएंजा या बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं तथा बत्तखों, कौओं एवं प्रवासी पक्षियों में बीमारी के और प्रसार को रोकने के लिए परामर्श जारी किया गया है।
मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अन्य राज्यों से पक्षियों की असामान्य मौत पर नजर रखने को कहा गया है। बर्ड फ्लू के नए मामले इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि अभी कुछ महीने पहले 30 सितंबर 2020 को भारत ने खुद को इस बीमारी से मुक्त घोषित किया था। भारत में बर्ड फ्लू का पहला मामला 2006 में सामने आया था। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान से नमूनों के संक्रमित होने की पुष्टि के बाद चार राज्यों में 12 स्थानों पर एवियन इन्फ्लुएंजा के मामले सामने आए हैं।
देश में जिन 12 स्थानों पर इस बीमारी के मामले सामने आए हैं, उनमें राजस्थान के बारां, कोटा, झालावाड़ क्षेत्रों और मध्य प्रदेश के मंदसौर, इंदौर तथा मालवा क्षेत्रों में कौओं में यह बीमारी पाई गई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों में यह संक्रमण पाया गया है तथा केरल में कोट्टायम, अलप्पुझा (चार स्थानों) में बत्तखों में यह बीमारी पाई गई है।
मंत्रालय ने कहा कि स्थिति पर नजर रखने तथा राज्यों के अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले एहतियाती और रोकथाम वाले कदमों का दैनिक आधार पर जायजा लेने के लिए नयी दिल्ली में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसने कहा कि राज्यों से प्राप्त खबरों के अनुसार मध्य प्रदेश और राजस्थान में एवियन इन्फ्लुएंजा से संबंधित राष्ट्रीय कार्ययोजना संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुरूप नियंत्रण संबंधी कदम उठाए जा रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा कि केरल संबंधित स्थानों पर पांच जनवरी को ही बीमारी नियंत्रण अभियान शुरू कर चुका है तथा संबंधित पक्षियों को मारने की प्रक्रिया जारी है। इसने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मामले में मंगलवार को एक और परामर्श जारी किया गया।
मंत्रालय ने कहा कि भारत में बर्ड फ्लू बीमारी मुख्यत: सर्दी के महीनों-सितंबर-अक्टूबर से फरवरी-मार्च तक देश में आने वाले प्रवासी पक्षियों के माध्यम से फैलती है और मानव के संबंधित चीजों का प्रबंधन करने (संक्रामक पदार्थों के जरिए) इसके द्वितीयक प्रसार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
इसने उल्लेख किया, ‘‘भारत में अभी तक मानव में इस संक्रमण की कोई खबर नहीं है, हालांकि बीमारी पक्षियों से मानव में फैल सकती है। इस बारे में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है कि एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस प्रदूषित कुक्कुट उत्पाद खाने से मानव में फैल सकता है।’’
एवियन इन्फ्लुएंजा संबंधी कार्ययोजना के अनुसार मंत्रालय ने प्रभावित राज्यों को कुक्कुट पालन केंद्रों की जैव सुरक्षा को मजबूत करने, प्रभावित क्षेत्रों को संक्रमणमुक्त करने, पक्षियों के शवों को उचित ढंग से निपटाने, जांच के लिए समय पर नमूने लेने, आगे और निगरानी रखने, निगरानी को मजबूत करने तथा बीमारी को प्रभावित पक्षियों से मानव और कुक्कुट पालन केंद्रों में रह रहे पक्षियों में फैलने से रोकने के लिए सामान्य दिशा-निर्देशों का पालन करने को भी कहा है।
मंत्रालय ने राज्यों को पक्षियों की किसी भी असामान्य मौत की सूचना को लेकर वन विभाग के साथ समन्वय करने का भी परामर्श दिया है।