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राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामें के बीच अंतर्देशीय जलयान विधेयक 2021 को संसद से मिली मंजूरी

संसद ने सोमवार को अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी।

देश में संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है, लेकिन विपक्ष के लगातार हंगामे के बीच ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा है कि संसद उचित ढंग से काम कर रही है। इसी बीच संसद ने सोमवार को अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी।
राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें नदियों में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किये गये हैं। लोकसभा में भी यह विधेयक हंगामे के बीच ही पारित हुआ था।
उच्च सदन में यह विधेयक पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने पेश किया।। विधेयक पर हंगामे के बीच ही संक्षिप्त चर्चा हुई। चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नदी में परिचालन करने वाले जहाजों का पंजीकरण एवं परिचालन संबंधी व्यवस्था अभी भारतीय जहाज अधिनियम के दायरे में आती है। यह कानून 1917 में बनाया गया था और काफी पुराना हो गया है।
उन्होंने कहा कि उस समय सभी राज्यों के अपने-अपने नियमन थे। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए मंजूरी लेनी पड़ती थी और इससे समस्या पैदा होती थी। ऐसे में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है। सोनोवाल ने कहा कि इस संबंध में 1917 का कानून अपर्याप्त था और इससे कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती थी । ऐसे में यह विधेयक लाया गया ताकि पारिस्थितिकी अनुकूल वातावरण में जल यातायात को बढ़ावा मिल सके ।
मंत्री के जवाब के बाद उपसभापति हरिवंश ने उनसे विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव पेश करने को कहा। मंत्री ने प्रस्ताव पेश किया जिसके बाद ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इससे पहले , हंगामे के बीच विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के महेश पोद्दार ने कहा कि देश में बरसों से जलमार्ग से व्यापार होता रहा है लेकिन समय के साथ साथ पुराने कानूनों में बदलाव भी जरूरी है। पहले अंतर्देशीय कारोबार के लिए नावों का उपयोग होता था। आज इस क्षेत्र में संभावनाएं और बढ़ गई हैं।
बीजद के प्रसन्न आचार्य ने कहा ‘‘यह कानून 100 साल से भी अधिक पुराना है। समय के साथ साथ चुनौतियों का रूप भी बदला है। इसलिए इस कानून में बदलाव की जरूरत थी। ओडिशा समुद्र तटीय प्रदेश है और प्राकृतिक खजाने की भी वहां कमी नहीं है। ऐसे में परिवहन के लिए जलयान कानून ओडिशा के लिए बहुत महत्व रखता है।’’ उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कुछ भी गलत नहीं है। विधेयक के कुछ प्रावधानों को बेहतरीन बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है।
अन्नाद्रमुक सदस्य डॉ एम थंबीदुरई ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धा को देखें तो यह विधेयक अत्यंत प्रासंगिक हो जाता है। उन्होंने कहा ‘‘हमारी पार्टी क्षेत्रीय पार्टी है। हमारे लिए चिंता की बात यह है कि विधेयक में राज्य के अधिकार में कमी की गई है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’ वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी ने कहा कि परिवहन के दौरान सुरक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी तरह के राजस्व के नुकसान की स्थिति में केंद्र को राज्यों की भरपाई करनी चाहिए।
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आज के हालात में यह विधेयक बहुत उपयोगी होगा। भाजपा के हरजी भाई मोकारिया, टीआरएस के डॉ बंदा प्रकाश, तेदेपा के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने भी हंगामे के बीच विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लिया।
उपसभापति हरिवंश ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और चर्चा में हिस्सा लेने की बार बार अपील की। लेकिन हंगामा जारी रहा। विधेयक पारित होने के बाद उपसभापति ने दोपहर दो बज कर 36 मिनट पर बैठक एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने अरुणाचल प्रदेश की जनजातियों से संबंधित एक संविधान संशोधन विधेयक सदन में पेश किया था।

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