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संसदीय समिति का सरकार को सुझाव, NPR पर सभी राज्यों के साथ आम सहमति बनाकर आगे बढ़े

गृह मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने यह मत भी व्यक्त किया है कि आधार के आंकड़ों का इस्तेमाल आगामी जनगणना में किया जाना चाहिए ताकि दोहराव और धन के अपव्यय को कम किया जा सके।

देश में नागरिकता संसोधन कानून (CAA) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच संसद की एक समिति ने एनपीआर को लेकर सरकार से राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों को संतुष्ट किए जाने का एक सुझाव दिया। 
समिति ने एनपीआर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सरकार द्वारा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों को पूरी तरह से संतुष्ट किया जाना चाहिए ताकि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बन सके और लोगों के मन में कोई आशंका न रहे। गृह मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने यह मत भी व्यक्त किया है कि आधार के आंकड़ों का इस्तेमाल आगामी जनगणना में किया जाना चाहिए ताकि दोहराव और धन के अपव्यय को कम किया जा सके। 
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति की गुरुवार को संसद में पेश रिपोर्ट में एनपीआर को लेकर लोगों में व्याप्त आशंकाओं का हवाला देते हुये कहा गया कि गृह मंत्रालय को इसका सर्वमान्य रास्ता निकालने पर विचार करना चाहिए जिससे जनगणना का काम आसानी से पूरा हो सके। 

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समिति ने कहा, ‘‘जनगणना और एनपीआर को लेकर लोगों में व्यापक असंतोष और भय व्याप्त है। समिति महसूस करती है कि इस बारे में व्याप्त आशंकाओं को पूरी तरह से दूर किया जाना चाहिए। अन्यथा विभिन्न राज्यों में पूरी प्रक्रिया के अटकने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।’’ इस प्रक्रिया को आधार से जोड़ने के बारे में समिति ने कहा कि आधार से जुटाए गए आंकड़ों का आगामी जनगणना में इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे धन के अपव्यय और दोहराव से बचा जा सके। 
समिति ने गृह मंत्रालय की इस दलील पर असहमति जताई कि आधार के आंकड़े व्यक्तिगत स्तर के हैं और इनकी मदद से परिवार का डाटाबेस जुटाने के लिए एनपीआर की कवायद की जा रही है। समिति ने कहा कि उसका मानना है कि आधार के आंकड़े महज व्यक्तियों से जुड़े आंकड़े नहीं हैं बल्कि ये आंकड़े राशन कार्ड और पेन कार्ड आदि से भी जुड़े हैं। 
समिति ने कहा कि आधार के आंकड़ों में परिवार के उपनाम और पते सहित अन्य जानकारियां शामिल हैं, इसलिये समिति यह समझने में नाकाम रही है कि आधार के आंकड़ों को महज वैयक्तिक स्तर का क्यों माना जा रहा है। इसके मद्देनजर समिति ने सिफारिश की है कि एनपीआर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सभी राज्य एवं केन्द्र शासित क्षेत्रों को पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही आगे बढ़ा जाए। 
जिससे देशवासियों के मन में इस विषय पर किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं रहे। समिति ने जम्मू कश्मीर प्लानिंग बोर्ड और निवेश एजेंसी गठित किये जाने की सिफारिश की है जिससे राज्य में तेजी से विकास हो सके। इसके अलावा राज्य के स्कूल एवं कालेजों में नेशनल कैडिट कोर (एनसीसी) और आपदा प्रबंधन एवं प्रशिक्षण कोर भी गठित करने का सुझाव दिया है। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बजट में आवंटन में वृद्धि की जाए। 

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