देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वााली संसद में उस वक्त भूचाल आ गया, जब केंद्र की मोदी सरकार पर देश के कई महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी कराने का आरोप लगा। इसके बाद तो संसद से लेकर हर तरफ विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को जमकर घेरा और सरकार पर खूब तीखे सवाल दागे।
केंद्र सरकार को चौतरफा घेर रहे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस द्वारा देश के महत्वपूर्ण लोगों के फोन की जासूसी कराने को भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक और काला अध्याय बताया है।
तिवारी ने बुधवार को यहां जारी अपने बयान में कहा है कि फोन हैक कर जासूसी कराना भारतीय लोकतंत्र के चारों स्तंभों (न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता) की मान मर्यादा को मोदी सरकार ने ध्वस्त करने का काम किया है,इससे देश की साख पर गहरा आघात लगा है। लोकतंत्र में यह नहीं हो सकता, यह तो मात्र तानाशाही में ही संभव है।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि केन्द्र सरकार ने सबसे बड़ विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी,अपनी ही सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल, अश्विनी वैष्णव, उच्चतम न्यायलय के तत्कालीन न्यायाधीश और राज्यसभा सांसद रंज गगोई, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा एवं वरिष्ठ पत्रकार समेत 300 लोगों के फोन की जासूसी इजराइली स्पाइवेयर पेगासस कंपन द्वारा करायी गयी।
केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तिवारी ने कहा कि यह रिपोर्ट फ्रांस की संस्था ‘‘ फारबिडेन स्टोरीज’’ द्वारा लीक नम्बरों के आधार पर तैयार की गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे अत्यंत चेतावनी पूर्ण मामला करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी देश को बताएं कि हाल ही में जिन वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्रियों को उन्होने मंत्रमंडल से हटाया है, कहीं उनको हटाने के पीछे इसी जासूसी रिपोर्ट का हाथ तो नहीं था। श्री मोदी बताएं कि हटाए गए मंत्री कुछ ऐसा कर रहे थे जो देश अथवा उनके नेतृत्व के हित में नहीं था।
तिवारी ने कहा कि इस रिपोर्ट के आने के बाद लोकतंत्र की हिफाजत के लिए विपक्ष का नैतिक दायित्व बनता है कि वह आपसी भेदभाव भूलकर सत्तारूढ़ सरकार पर निर्णायक लोकतंत्रिक प्रहार के लिए एक जुट हों। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यह बताए कि झारखंड, और छत्तीसगढ़ में जहां आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाना था वहां तो आदिवासी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, आदिवासी का और कितना अपमान करेंगे।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि केन्द्र सरकार ने सबसे बड़ विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी,अपनी ही सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल, अश्विनी वैष्णव, उच्चतम न्यायलय के तत्कालीन न्यायाधीश और राज्यसभा सांसद रंज गगोई, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा एवं वरिष्ठ पत्रकार समेत 300 लोगों के फोन की जासूसी इजराइली स्पाइवेयर पेगासस कंपन द्वारा करायी गयी।
केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तिवारी ने कहा कि यह रिपोर्ट फ्रांस की संस्था ‘‘ फारबिडेन स्टोरीज’’ द्वारा लीक नम्बरों के आधार पर तैयार की गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे अत्यंत चेतावनी पूर्ण मामला करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी देश को बताएं कि हाल ही में जिन वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्रियों को उन्होने मंत्रमंडल से हटाया है, कहीं उनको हटाने के पीछे इसी जासूसी रिपोर्ट का हाथ तो नहीं था। श्री मोदी बताएं कि हटाए गए मंत्री कुछ ऐसा कर रहे थे जो देश अथवा उनके नेतृत्व के हित में नहीं था।
तिवारी ने कहा कि इस रिपोर्ट के आने के बाद लोकतंत्र की हिफाजत के लिए विपक्ष का नैतिक दायित्व बनता है कि वह आपसी भेदभाव भूलकर सत्तारूढ़ सरकार पर निर्णायक लोकतंत्रिक प्रहार के लिए एक जुट हों। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यह बताए कि झारखंड, और छत्तीसगढ़ में जहां आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाना था वहां तो आदिवासी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, आदिवासी का और कितना अपमान करेंगे।