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उत्तर भारत में लोगों को जल्द मिलेगी उमस भरी गर्मी से राहत, मानसून के जल्द पहुंचने की संभावना

उत्तर-पश्चिम भारत में करीब एक सप्ताह तक लू के प्रकोप के बाद शुक्रवार को तापमान में गिरावट देखी गई, लेकिन क्षेत्र में मानसून की स्थिति बेहतर नहीं होने से उच्च आर्द्रता के कारण लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ा। मौसम विभाग ने इसकी जानकारी दी ।

उत्तर-पश्चिम भारत में करीब एक सप्ताह तक लू के प्रकोप के बाद शुक्रवार को तापमान में गिरावट देखी गई, लेकिन क्षेत्र में मानसून की स्थिति बेहतर नहीं होने से उच्च आर्द्रता के कारण लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ा। मौसम विभाग ने इसकी जानकारी दी ।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को एक वक्तव्य में कहा कि दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ इलाकों में शुक्रवार से ही हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश होना शुरू हो गयी।
इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में उमस भरी गर्मी रहने के साथ ही अधिकतम तापमान 38.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिल्ली में जुलाई के महीने में अब तक लोगों को चार दिन लू के प्रकोप का सामना करना पड़ा। इन चार दिनों में एक जुलाई को अधिकतम तापमान 43.1 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, दो जुलाई को उच्चतम तापमान 41.3 डिग्री सेल्सियस रहा , सात जुलाई को जब पारा 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और आठ जुलाई को अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ ही राजधानी के लोगों को भीषण गर्मी से जूझना पड़ा।
शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में सापेक्षिक आर्द्रता 89 फीसदी से 49 फीसदी के बीच रही। पड़ोसी राज्य हरियाणा के गुरुग्राम में अधिकतम तापमान 39.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश के नोएडा में अधिकतम तापमान 38.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
पंजाब और हरियाणा में शुक्रवार को भी गर्मी का कहर जारी रहा, जबकि कुछ स्थानों पर बारिश हुई। हरियाणा के नारनौल में अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 41.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राज्य के अन्य स्थानों में, हिसार में अधिकतम तापमान 41.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि करनाल जहां 32 मिमी बारिश हुई, वहां अधिकतम तापमान 34.8 डिग्री सेल्सियस रहा। पंजाब के अमृतसर, लुधियाना और पटियाला में अधिकतम तापमान क्रमश: 36.7, 35.7 और 35.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लुधियाना और पटियाला में क्रमश: 0.6 मिमी और 7.9 मिमी बारिश हुई। दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में सुबह हल्की बारिश हुई और अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 36.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
राजस्थान के कुछ हिस्सों जैसे बीकानेर संभाग के गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और चुरू जिलों में शुक्रवार को बारिश और धूल भरी आंधी के साथ मानसूनी हवाएं चली । मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई है। कोटा, जयपुर उदयपुर, भरतपुर और अजमेर संभाग के कुछ हिस्सों में मानसून के सक्रिय होने की संभावना के साथ राज्य के अधिकांश स्थानों पर शनिवार को बारिश होने की पूरी उम्मीद है।
मॉनसून से पूर्व राजस्थान के कई इलाकों में गर्मी और उमस का कहर जारी रहा। श्रीगंगानगर में अधिकतम तापमान 42.6 डिग्री सेल्सियस, बीकानेर में 42.3 डिग्री सेल्सियस और चुरू में 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ीं, जबकि राज्य के कुछ अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति रही।
राज्य में सबसे अधिक अधिकतम तापमान आगरा में 42.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, बरेली और झांसी संभाग में दिन के तापमान में गिरावट दर्ज की गई।
उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों पर भी बारिश हुई क्योंकि मैदानी और पहाड़ियों दोनों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहा। राजधानी देहरादून में अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
भले ही मानसून अब तक उत्तर-पश्चिम भारत से विमुख रहा है, लेकिन तमिलनाडु और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों इसकी स्थिति मजबूत बनी हुई है। केरल, लक्षद्वीप, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी के अधिकांश स्थानों के अलावा तेलंगाना तथा तटीय आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हुई। आईएमडी के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने से अगले पांच दिनों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भारी बारिश वर्षा होने की संभावना है।
आईएमडी के मुताबिक अरब सागर से दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के और मजबूत होने तथा 11 जुलाई के आस-पास बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना के कारण, पश्चिमी तट और इससे सटे प्रायद्वीपीय भारत में बारिश में वृद्धि होने की संभावना है।

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